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Sunday, May 19, 2024
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    5 स्टार होटल का घिनोना सच आया सामने, लोगो को खिलाते थे ऐसा खाना

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    हर कोई चाहता है, हर कोई सोचता है, कि वह साफ सफाई वाला खाना खाए। हर कोई सुथरी जगह जाए, और वहां से वापस आए। कोई भी नहीं चाहता, चाहे उसका घर हो या बाहर उसे गंदगी मिले। क्योंकि किसी को भी गंदगी पसंद ही नहीं होती। और इसी बीच जब बात खाने की आती है तो, खाने के साथ कोई भी किसी भी तरीके का समझौता नहीं करता। चाहे जहां खाना बनाया जाता है या फिर जहां खाना सर्व किया जाता है, परोसा जाता है।

    हर जगह सफाई की जरूरत होती है। और हर कोई चाहता है कि वहां सफाई हो। कोई कितना भी गंदे मन का या गंदा शरीर से रहने वाला इंसान क्यों ना हो। वह खाना खाने की जगह और खाना बनाने की जगह दोनों पर ही साफ-सफाई देखना चाहता है।

    और यह होना भी चाहिए, क्योंकि हमारी हेल्थ के लिए हमारे स्वास्थ्य के लिए यह सब कुछ बहुत जरूरी है। अगर हम स्वस्थ रहना चाहते हैं तो हमें अच्छा पोस्टिक आहार खाना होता है। और यह अच्छा पोस्टिक आहार बहुत जरूरी है।

    उसी के साथ साथ इतना ही जरूरी है कि जिस जगह खाना बनता है, वह जगह भी साफ सुथरी एकदम स्वच्छ हो। लेकिन आज हम जो खबर आपको बताने जा रहे हैं वह लंदन की खबर है जहां एक चीनी रेस्त्रां चलता था।

    और इस रेस्त्रां में इतनी गंदगी हुआ करती थी कि आप अगर सुनेंगे और उसकी तस्वीर देखेंगे तो आपके मन में आएगा कि घर से बाहर आप किसी भी रेस्त्रां में खाना नहीं खाएंगे। क्योंकि सुंदर दिखने वाला रेस्त्रां जो चीनी रहता था।

    बाहर से फाइव स्टार रेस्त्रां की तरह दिखने वाला वह अंदर इतना गंदा था कि लोग उसे देखने के बाद, लोग उसकी तस्वीरों को देखने के बाद उबकायी लेने लगे। लोग समझ गए कि इसमें बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिससे कि लोग बीमार पड़ सकते हैं।

    एक दिन एक कस्टमर उस रेस्त्रां में पहुंचा। उस कस्टमर को काउंटर पर एक चूहा नजर आया, चूहे की पॉटी नजर आई। अचानक उस चाइनीस रेस्त्रां में कस्टमर ने अपनी नजरें अंदर गढ़ाई और आगे बढ़ा तो उसने देखा कि किचन काउंटर पर किचन एरिया में भी इसी तरीके के हालात है, कि किचन बहुत गंदी है, और कई चूहे वहां पर घूम रहे हैं।

    अब ऐसे में कस्टमर ने फूड सेफ्टी वालों को कॉल किया और वहां पर फूड सेफ्टी वालों ने छापा मारा तो देखा कि रेस्त्रां के भीतर किचन के अंदर तकरीबन 26 से 27 चूहे इधर-उधर घूमते दिखे।

    हर जगह चूहे की पॉटी मिल रही थी। और ऐसे में लोगों को समझ में नहीं आया। उन्होंने सोचा कि यह होटल दिखने में और और खाने में कुछ और ही है। यानी कुल मिलाकर कहावत सिद्ध हो गई के हाथी के दांत दिखाने के और व खाने के और हुए।

    वही ये भी सिद्ध हुआ कि ऊंची दुकान फीके पकवान। इस तरीके की कहावत सिद्ध हो गई। तो दोस्तों आगे से आप इस बात का ख्याल रखिएगा कि आप अगर किसी होटल, रेस्त्रां में जाते हैं तो उसकी शान-शौकत जो बाहर से आपको दिख रही है सिर्फ उस पर मत जाइए। आप थोड़ा सा जानकारी लीजिए और उसके बाद खाना खाने जाइए।

    इस मुर्गे ने की अपने ही मालिक की हत्या, कमर से शरीर किया अलग

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    आपने हत्या के कई मामले सुने होंगे लेकिन तेलंगाना में जो मामला सामने आया है उसे सुनने के बाद आप भी हैरान रह जाएंगे। यहां एक इंसान की कत्ल हो गयी और ये कोई इंसान ने नहीं बल्कि एक मुर्गे ने की है। जिसके उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ये मामला बेहद हैरान कर देने वाला है।

    पुलिस ने पहली बार किसी मौत के मामले में एक मुर्गे को अपनी हिरासत में लिया है और अब मुर्गे को जल्द कोर्ट में जुज के सामने पेश करने की तैयारी की जा रही है।

    बता दें कि हाल ही में तेलंगाना के जगतियाल जिले में स्थित येल्लम्मा मंदिर में मुर्गों की लड़ाई का खेल चल रहा था। इस दौरान एक मुर्गें ने अपने मालिक पर हमला कर दिया। जिससे उनकी मौत हो गई।

    मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुर्गे की पैर से चाकू बांधा गया था, जिससे उसने अपने मालिक पर हमला कर दिया गया। इस दौरान ज्यादा खून बहने की वजह से उनकी मौत हो गई।

    गौरतलब है कि यह घटना तब घटी जब अवैध लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए मुर्गे को लाया गया था, इस दौरान मुर्गे के पैर में चाकू बांध दिया गया था, जिससे मुर्गा परेशान लग रहा था। इसी दौरान उसने सतीश की जांघों पर हमला कर दिया, जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

    बता दे कि येल्लम्मा मंदिर में मुर्गों की लड़ाई का आयोजन किया गया था। जबकि राज्य में मुर्गों की लड़ाई पर पाबंदी है। उसके बावजूद यहां अवैध तौर पर मुर्गों की लड़ाई का आयोजन किया।

    इस मामले की जांच के दौरान पुलिस मुर्गे को गोलपल्ली पुलिस स्टेशन ले गई। जहां उसे पुलिस की निगरानी में रखा गया है। मुर्गे की कोर्ट में पेशी कब होगी? इस बारे में अभी किसी तरह की जानकारी सामने नहीं है।

    पाकिस्तानी कॉमेडियन ने उड़ाया शशि थरूर का मज़ाक, थरूर ने कहा अपने प्रधानमंत्री पर भी बनाकर दिखाओ

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    तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को अंग्रेजी भाषा के शानदार उपयोग के लिए जाना जाता है। ‘सेसक्विलेडेलियन’, ‘पर्सपेसीस’, ‘गोंजो’ इत्यादि जैसे शब्दों का प्रयोग करके अपना स्वयं का अंग्रेजी भाषा की डिक्शनरी बना सकते हैं, जिनका लोग उनका संदर्भ देकर इस्तेमाल भी कर सकते हैं। हाल ही में एक पाकिस्तानी कॉमेडियन ने शशि थरूर की अंग्रेजी पर एक वीडियो बनाकर ट्वीट किया है।

    पाकिस्तानी कॉमेडियन अकबर चौधरी ने अपने इस वीडियो में बताया है कि आखिर शशि थरूर की तरह कैसे तुंरत अंग्रेजी सीखी जा सकती है। 35 सेकेंड के इस वीडियो को देखकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे।

    वीडियो में चौधरी ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी का जूस बनाकर पी जाते हैं। फिर वीडियो को ड्रिप की तरह चढ़ाया जाता है। इसके बाद वो थरूर की तरह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगते हैं।

    देखते ही देखते ये वीडियो सोशल मीडिया और खूब वायरल हो गया जिसके लोग तरह तरह के रिएक्शन्स दे रहे है। वहीं अकबर ने वीडियो के कैप्शन में लिखा, थरूर की तरह अंग्रेजी कैसे बोलें। उन्होंने शशि थरूर की तरह बिना गलती के अंग्रेजी बोलने के तीन फनी स्टेप बताए हैं।

    इसके बाद वे थरूर की तरह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगते हैं, जो कि वास्तव में डबिंग है।  दरअसल, शशि थरूर अंग्रेजी के लोगों को हैरान करने वाले नए-नए शब्दों के इस्तेमाल के लिए मशहूर हैं।

    वे कई बार ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जो लोगों के कभी नहीं सुने होते हैं। बता दे कि पिछले दिनों थरूर ने पाकिस्तान की सेंट्रल सुपीरियर सर्विस परीक्षा के पर्चे में गलती निकाली थी। ये परीक्षा भारत की सिविल सर्विस परीक्षा की तरह ही है। अकबर के वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जा रहा है साथ ही इसे कई लोग साझा भी कर चुके हैं।

    आपको बता दें कि पाकिस्तान सेंट्रल सुपीरियर सर्विस परीक्षा का एक प्रश्नपत्र हाल ही में सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था।इसे एक पोस्ट में शशि थरूर को टैग किया गया था। जब पर्चे पर उनकी नजर गई तो उन्होंने इसमें गलतियां निकाल दी थीं।

    सात जन्मों का बंधन सात मिनट में ही टूटा, विदाई पर रोते दौरान हुई दुल्हन की मौत

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    ओडिशा के सोनपुर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां शादी समारोह का खुशी का माहौल कब मातम में बदल गया, किसी को पता नहीं चला। दरअसल, विदाई के दौरान दुल्हन इतना रोई, कि उसे दिल का दौरा पड़ गया और अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। दरअसल सोनपुर के जुलुंडा गांव में रहने वाले मुरली साहू की बेटी गुप्तेश्वरी साहू उर्फ रोजी की शादी, बलांगीर जिले के टेटलगांव के रहने वाले बिसीकेसन के साथ हुई।

    शादी के बाद जब दूल्हा, दुल्हन को विदा कराकर ले जा रहा था, उसी वक्त ये घटना हुई। विदाई के दौरान रोजी लगातार रो रही थी। काफी देर तक रोने के बाद अचानक वह बेहोश होकर जमीन पर गिर गई। दुल्हन को बेहोश देख वहां मौजूद लोगों में अफरा तफरी मच गई। 

    रिश्तेदारों ने उसके चेहरे पर पानी डाला, हाथ-पांवों की मालिश की लेकिन रोजी को होश नहीं आया। जब इससे कोई फर्क नहीं पड़ा तो घरवाले बिटिया को लेकर तत्‍काल पास के अस्‍पताल दौड़े। वहां डॉक्‍टर ने दुल्‍हन को मृत घोषित कर दिया।

    सूचना मिलने पर अस्‍पताल पहुंची पुलिस ने लड़की का पोस्‍टमॉर्टम कराया और शव परिवारवालों को सौंप दिया। गांव की बिटिया रोजी की इस तरह मौत होने से ग्रामीण बेहद दुखी हैं। एक गांववाले ने बताया कि रोजी के पिता की कुछ समय पहले ही मौत हो गई थी।

    इसके बाद वह काफी परेशान रहा करती थी। रोजी के मामा ने कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से उसकी शादी करवाने का प्रयास किया। सबकुछ अच्‍छे तरीके से हो भी गया था पर विदाई के ऐन वक्‍त रोजी की जान चली गई।

    ये घटना बेहद हैरान कर देने वाली है। शादी के बंधन में बढ़ने के बाद दुल्हन नहीं निभा पाई शादी और उसकी सारी खुशियां छीन गयी। इस घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है इसी के साथ दूल्हे के घर में भी दुख का माहौल छाया हुआ है।

    महामारी के कारण अलग हो गया था ये बुज़ुर्ग कपल, मिले तो ऐसे बरसाया प्यार

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    साल 2020 से लेकर आज तक कोरोना ने लगभग सभी को अपनी ज़द में लेने की कोशिश की है। जो इससे बच गया वह सौभाग्यशाली, और जो इसमें फंस गया वह अपने आप को दुर्भाग्यशाली समझता है। लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो इस कोरोना की जंग को जीतकर अपने घर वापसी भी कर रहे हैं। यानी अस्पतालों से डिस्चार्ज होकर स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट रहे हैं। आपको बता दें साल 2020 से जो हाल ना सिर्फ देश का बल्कि पूरे संसार का देखने को मिल रहा है उससे मानव जाति त्राहिमाम कर रही है। कई लोग बिछड़ चुके हैं।

    कई लोग घर से बेघर हो चुके हैं। कई लोगों की दुनिया ही उजड़ चुकी है। कई लोगों के प्राण जा चुके हैं। जिंदगी जा चुकी हैं, और कई लोग अपनीं से ही बिछड़ चुके हैं। इस महामारी में लोग बेहद हताश परेशान हैं। लोग समझ नहीं पा रहे कि आखिर करें क्या, कहाँ जाए।

    समझ से परे नज़र आ रहा है सब कुछ। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है, अस्पतालों में वह तमाम व्यवस्थाएं जिनकी उम्मीद हर एक मरीज करता है उन तमाम व्यवस्थाओं की कमी है। और हालत यह है कि संख्या मरीजों की बढ़ रही है इस वजह से यह तमाम हालात देखने को मिल रहे हैं।

    यह पूरा ऐसा मंजर देखने को मिल रहा है। लेकिन इन सबके बीच एक सुखद अनुभव करने वाला वीडियो निकल कर सामने आया है। अब इस वीडियो ने सभी के चेहरों पर सुकून लाकर रख दिया है। आपको बता दें एक बुजुर्ग दंपति कोरोना की वजह से ही पिछड़ा और कोरोना के बाद जब वह ठीक हुए उसके बाद जब मिले तो प्यार ही प्यार बरस गया। दरअसल इंग्लैंड के मैनचेस्टर का एक वीडियो सामने आया है।

    इसे देख कर सब खुश हो रहे हैं, क्योंकि इस वीडियो में एक परिवार ने अपने दो बुजुर्ग माता-पिता को यानी बुजुर्ग दंपति को सिर्फ इस कारण अलग किया था कि उनकी उम्र ज्यादा है कहीं उन दोनों को कोरोना ना हो जाए। कोरोना के चलते वह दोनों बिछड़ गए थे, लेकिन जब वह ठीक हुए और रिकवर हुए और एकदम चुस्त-दुरुस्त होकर स्वस्थ होकर वापस लौटे तो दंपति में से एक ने यानी पुरुष ने अपनी महिला पत्नी को सरप्राइज दिया।

    और फिल्मी अंदाज में यह दोनों एक दूसरे से मिले। अभी जो वीडियो है वह लगातार सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है। वीडियो को हर जगह देखा जा रहा है, सराहा जा रहा है। और हर कोई इस वीडियो को देखकर बहुत संतुष्ट महसूस कर रहा है, या फिर यूं समझ लीजिए कि कोरोना की वजह से जो आलम देखा जा रहा है उस आलम में हर कोई मजबूरी में एक कारण की वजह एक दूसरे से बिछड़ता है।

    जिसे कोई भी करना नहीं चाहता है लेकिन इस वीडियो के आने के बाद हर तरफ इस वीडियो की तारीफ हो रही है। हर कोई इस वीडियो को लोकलुभावन समझ रहा है, क्योंकि जो इसे देख रहा है इस असंतोष के वक्त में उसका मन सुकून महसूस कर रहा है।

    देर रात अस्पताल में हो गयी थी ऑक्सीजन खत्म, SI की सूझबूझ से बच गई कई जाने

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    लगातार कोरना महामारी अपने पांव पसारती जा रही है। हर कोई त्राहिमाम कर रहा है। हर कोई परेशान है। आज के दौर में देखा जाए तो डॉक्टर्स भी मोहताज महसूस कर रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि हस्पतालों में ना तो ऑक्सीजन की आपूर्ति हो पा रही है और ना ही बेड की संख्या भरपूरी से बढ़ पा रही है। बेड की संख्या कम बल्कि जरूर हो रही है। और उसकी कमी इस वजह से क्योंकि अगर बेड की संख्या बढ़ा दी जाए तो उन पर ऑक्सीजन कैसे अर्जित की जाएगी।

    ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से बेड की संख्या को भी हर एक अस्पताल ज्यादा करने की जगह घटा रहा है। और आईसीयू बेड की संख्या जहां बढ़ानी चाहिए उसे भी घटाया जा रहा है। यही कारण है कि इसकी वजह से भी मरीज ज्यादा और बेड कम नजर आ रहे हैं।

    क्योंकि जितने ज्यादा मरीज हैं और मरीज़ ज़्यादा होने की वजह से मरीजों के लिए ऑक्सीजन ना पहुंचने की वजह से बेड और ज्यादा कम अस्पतालों की तरफ से किए जा रहे हैं। अब अस्पताल करें भी तो क्या।

    अगर उनके यहां पेशेंट्स आएंगे और वह जिंदगी जीने की जगह मौत के लिए आगे बढ़ जाएंगे, तो हॉस्पिटल्स कभी नहीं चाहते कि उनके यहां पर कोई भी पेशेंट आए और वह मर कर जाए। उनकी तरफ से हर संभव कोशिश होती है प्रयास होता है कि वह किसी भी तरीके से कुछ भी करके मरीज की जान बचा सकें।

    लेकिन नागपुर से एक ऐसा वाक्या निकल कर सामने आया है जहां पर एक अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हुई, और पुलिस को इस बारे में सूचित किया गया और पुलिस ने ऑक्सीजन मुहैया कराई और कई लोगों की जान बचा दी।

    क्या है पूरी कहानी, इस कहानी को विस्तार से बताते हैं। तिरपुडे हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म होने से हड़कंप की स्थिति बन गई। ICU में 15 मरीज भर्ती थे। उन्हें तत्काल ऑक्सीजन की जरूरत थी।

    ऐसे में जरीपटका पुलिस स्टेशन में रात एक बजे एक लेटर के जरिए सूचना दी गई। वहां उस समय एसआई महादेव नाईकवाड़े तैनात थे और तुरंत हरकत में आ गए। और जैसे तैसे कर उन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए, ऑक्सीजन अरेंज करने में जुट गए। वे अपने 4 साथियों के साथ पास में स्थित एक ऑक्सीजन प्लांट पर पहुंचे।

    प्लांट मालिक ने प्रशासन का परमीशन लेटर ना होने की वजह से ऑक्सीजन देने से मना कर दिया, फिर भी एसआई महादेव डटे रहे और प्लांट मालिक को मनाते रहे। फिर आखिरकार उन्हें 7 ऑक्सीजन सिलेंडर मिल गए हैं।

    फिर जल्दी से एसआई ने ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पताल पहुंचाए जिससे तमाम मरीज़ों की जान बच गई। ऐसे में पुलिस का अस्पताल प्रशासन ने बारंबार धन्यवाद किया। कुल मिलाकर एसआई महादेव इन सभी मरीज़ों के लिए भगवान बनकर सामने आए हैं।

    बूढ़ी माँ थाने आकर खाती है आइस क्रीम और आशीर्वाद देकर चली जाती है वापस

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    सुनने में बड़ा अजीब सा लगता है। शायद इन्हीं को रिश्ते कहते हैं। कहते हैं ना कि रिश्ते की कोई परिभाषा नहीं होती। कुछ रिश्ते खून के रिश्ते होते हैं। कुछ रिश्ते बड़े रिश्ते बन जाते हैं, जोकि वह खून के रिश्तो को भी पीछे छोड़ देते हैं। रिश्तो में अपनी एक अलग महक होती है। हम सभी जमीन पर इन रिश्तों के बहाने से ही एक दूसरे से जुड़े होते हैं, बंधे होते हैं। और जिनके जीवन में रिश्ते नहीं होते उनका जीवन निरंकुश होता है।

    जीवन बिल्कुल खाली होता है। दोस्तों एक ऐसी कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। जिस कहानी को सुनने के बाद आपको लगेगा क्या ऐसा भी होता है। दोस्तों ये सच्ची कहानी है और जिसे हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं। और जो एक 89 साल की बुजुर्ग महिला की कहानी है। और कहानी भी ऐसी जो बेहद दिलचस्प और बेहद रोचक है।

    इसे सुनने के बाद बड़ा अच्छा लगेगा। रिश्तों पर आपको और भी ज्यादा भरोसा और भी ज्यादा विश्वास आ जाएगा। फिर आप भी किसी भी अजनबी को दिल से प्यार से गले लगाने की कोशिश करेंगे।

    घटना गुजरात के राजकोट के भक्तिनगर थाने की है, जहां 89 वर्ष की वीनू बेन अढ़िया नामक वृद्ध महिला पिछ्ले ढ़ाई वर्षों से प्रतिदिन थाने आ रही है। वह महिला प्रतिदिन पुलिस अधिकारीयों द्वारा आइसक्रीम खाती है, फिर आशीर्वाद देकर चली जाती है। थाने के पुलिस अधिकारी इस बुढ़िया मां की सहायता भी करते हैं।

    बतादें बुज़ुर्ग वीनू बेन अढ़िया राजकोट के मेहुलनगर की गली नम्बर-6 में रहती हैं। पुलिस का कहना है कि इतनी बुजुर्ग होने के बाद भी वे अपने घर से दिन में दो बार पैदल थाने आती-जाती हैं। यह सिलसिला साढ़े तीन वर्षों से चला आ रहा है।

    बुजुर्ग मां जब भी थाने आती हैं, तो पुलिस अधिकारी बहुत ही आदर-सम्मान से पास में बैठाते हैं, और आइसक्रीम खाने के लिए देते हैं। इसके साथ ही उनकी बात अपने फोन से उनके बेटे और पोते से भी करवाते हैं।

    एक कॉन्सटेबल ने बताया, “वीनू बेन बरसों पहले कोलकता में शिक्षक रह चुकी हैं, अब वे यहां थाने में दो-ढाई घंटे समय व्यतीत करती हैं। कहने को तो इस रिश्ते का कोई नाम नहीं है, लेकिन मानवता के तौर पर ये रिश्ता एक बड़ी मिसाल के रूप में देखा जाता है।

    नींबू की खेती से स्थापित किये कृषि में नए कीर्तिमान, कमा रहे है लाखो में

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    ज्यादातर लोग नौकरी-पेशे वाले बनना चाहते हैं। सर्विस करना चाहते हैं। कुछ लोग होते हैं जो बिजनेस को भी करना चाहते हैं। बहुत कम लोग होते हैं जो खेती को करना चाहते हैं, किसानी को करना चाहते हैं। हमारा देश भारत कृषि प्रधान देश है। इन सबके बावजूद लोग खेती से बच के गांव से निकलकर शहरों की तरफ रुख कर लेते थे। 2020 में जब से कोरोना वायरस आया है, तब से लोगों ने एक बार फिर शहरों से गांव की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है।

    साथ ही साथ कुछ लोग जो अपनी खेती को बेचने की फिराक में थे, जो लोग खेती करना भी पसंद नहीं करते थे। अपने खेतों को लीज पर दे दिया करते थे। अब वही लोग अपने खेतों में काम कर रहे हैं, और उनके खेतों से पैदावार खूब हो रही है।

    और इस पैदावार से वह अपने जीवन में चार चांद लगा रहे हैं। ऐसे ही एक किसान का जीवन परिचय हम आपके सामने रखने जा रहे हैं जिन्होंने नींबू की फसल करके खुद को लखपति बनाया, और खुशहाली से अपना जीवन जी रहे हैं।

    जिन्होंने 1.75 एकड़ जमीन में लगाए नींबू से, अपनी औसत आय 6 लाख रुपए करली है, जिसमें लागत खर्च लगभग 1-1.5 लाख रूपये का ही आया है। अभिषेक जैन, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले हैं। वह अपने गांव संग्रामगढ़ में अपने पुश्तैनी जमीन पर 2007 से ऑर्गेनिक नींबू और अमरूद की खेती कर रहे है।

    अभिषेक के अनुसार नींबू मानो उनका जीवन बदल दिया है। अभिषेक ने अजमेर से अपनी बीकॉम की पढ़ाई पूरी कर मार्बल का बिजनेस शुरू किए। तभी अचानक उनके पिता का निधन हो गया।

    पिता के आकस्मिक निधन के कारण उन्हें खेती के तरफ रुख मोड़ना पड़ा। अभिषेक खेती की शुरुआत किए और खेत में नींबू और अमरूद के पौधें लगाए। पहले यह काम थोड़ा मुश्किल लगा लेकिन आगे उन्हें भी प्रकृति से काफी लगाव हो गया। वह पूरी लगन से नींबू और अमरूद की खेती करते हैं।

    आगे इसे और भी बढ़ाने कि कोशिश कर रहे हैं। साथ ही वे नींबू का अचार भी बनाते हैं। अभिषेक के घर में हमेशा ही नींबू का अचार बनता था। घरवालों से सीख कर वह भी अचार बनाने लगे। अभिषेक लोगों को रोजगार भी देते है जैसे फल तोड़ने के लिए श्रमिकों की आवश्कता पड़ती है।

    हालांकि अचार बनाने का काम उनकी मां और पत्नी ही संभाल लेती है। इस तरह से अभिषेक का और उनके परिवार का जीवन ज़बरदस्त चलने लगा है। अभिषेक जैविक खेती के लिए सभी को जानकारी भी देते हैं।

    6 साल में 12 बार लगी नौकरी लेकिन फिर भी नही मानी हार, हासिल किया IPS का पद

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    कड़ी संघर्ष के बाद सफलता हासिल कर अफसर बनने वाले कई शानदार व्यक्तित्व की चर्चा हम कर चुके हैं। इस कड़ी में आज एक ऐसी शख्सियत के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने 6 साल में 12 परीक्षाएं पास की और आखिरकार बने आईपीएस अफसर। प्रेमसुख डेलू की सफलता का अंदाजा इससे सहज लगाया जा सकता है कि छह साल में ये 12 बार सरकारी नौकरी लग चुके हैं, जबकि सरकारी नौकरियों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा के इस दौर में एक बार भी चयन होना आसान बात नहीं है।

    गुजरात कैडर के आईपीएस प्रेमसुख डेलू वर्तमान में अमरेली जिले में एएसपी के पद पर तैनात हैं। IPS प्रेमसुख डेलू का जन्म राजस्थान के बीकानेर जिले के छोटे से गांव रासीसर में हुआ था। वह अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं।

    उनके पिता एक किसान थे, चूँकि उनके पास इतनी ज्यादा जमीन नहीं थी कि घर का गुजारा मात्र खेती से चल सके। इसलिए, वह ऊंटगाड़ी भी चलाते थे। IPS प्रेमसुख ने गांव के सरकारी स्कूल से दसवीं पास की थी। प्रेमसुख बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे।वह कहते हैं, “भले ही मेरे माता-पिता ने पढ़ाई नहीं की, लेकिन पढ़ाई के प्रति मेरी रुचि देखकर, उन्होंने मुझे हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित किया।

    उनकी सबसे पहली नौकरी 2010 में, बीकानेर के ही एक गांव में पटवारी के तौर पर लगी। लेकिन, यह मात्र उनके सफर की शुरूआत थी। उसी साल, उन्होंने राजस्थान में ग्राम सेवक के पद की परीक्षा में, राज्य में दूसरा रैंक हासिल किया। उन्होंने असिस्टेंट जेलर के पद की परीक्षा में, पूरे राजस्थान में पहला स्थान प्राप्त किया।

    उन्होंने साल 2011 में बीएड किया और इसके बाद प्राइमरी और सेकण्डरी स्कूल टीचर की परीक्षा भी पास की। कुछ दिन उन्होंने बीकानेर के कतरियासर गांव में बतौर स्कूल शिक्षक भी काम किया।

    इतना सब होने के बाद भी इन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं रोकी और आगे की पढ़ाई को जारी रखी। इसके बाद राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में तहसीलदार के पद पर उनका चयन हुआ।

    तहसीलदार के पद पर नौकरी करने के साथ-साथ इन्होंने यूपीएससी की तैयारी भी करतें रहें। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से प्रेमसूख देलू ने यूपीएससी की परीक्षा में दूसरें ही प्रयास में सफलता प्राप्त किया। UPSC की परीक्षा में प्रेमसूख देलू ने हिन्दी माध्यम से 170वां रैंक हासिल किया और उनके लिये एक मिसाल बन गयें जो भाषा के आधार पर किसी की काबिलियत को मापते हैं।

    बेटी की शादी के लिए जोड़े थे 2 लाख रुपये, किसान ने ऑक्सीजन के लिए दे दिए दान

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    पूरे देश में महामारी की दूसरी लहर से लोग परेशान है। ऐसे में सबसे ज्यादा जो समस्या पैदा हो रही है वो है ऑक्सीजन की कमी। ऐसे में कई लोग मदद के लिए आगे रहे है वहीं अब इस मदद में किसान ने भी हाथ बढ़ाया उन्होंने अपनी बेटी की शादी को यादगार बनाने के लिए ऐसा काम किया जिससे कि हर कोई तारीफ कर रहा है। दरअसल मध्य प्रदेश के किसान चम्पालाल गुर्जर ने अपनी बेटी की शादी करने के लिए कड़ी मेहनत से कमाये हुए दो लाख रूपए कोविड-19 के गंभीर मरीजों के वास्ते दो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन खरीदने के लिए नीमच जिला प्रशासन को दान दे दिए हैं।

    किसान ने ये दान कलेक्टर मयंक अग्रवाल को दिया है जिससे ऑक्सीजन खरीदी जा सके और मरीजों का इलाज हो सके। चंपालाल ने ये दो लाख रुपए अपनी बेटी अनीता की शादी के लिए रखे थे, लेकिन जैसे ही रविवार को अनीता की शादी हुई उसी समय इस किसान ने लोगों की मदद करने का मन बनाया और रुपयों का दान दे दिया।

    चम्पालाल ने डीएम मयंक अग्रवाल को 2 लाख रुपये का चेक सौंपा, जिससे दो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे जाएंगे। इनमें से एक जिला अस्पताल नीमच को।जबकि दूसरा जीरन शासकीय अस्पताल को दिया जाएगा। नीमच कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने किसान चम्पालाल की सरहाना की।

    उन्होंने कहा, ‘अगर सबकी सोच ऐसी हो तो निश्चित ही बड़ी मदद हो सकती है। चम्पालाल ने बताया, ‘हर बाप की तरह मेरा भी सपना था कि मैं अपनी बेटी (अनीता) की शादी धूमधाम से करूं, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण रविवार को यह संभव नहीं हो सका।

    ऐसे में बेटी की शादी को यादगार बनाने के लिए मैंने यह फैसला किया।’वहीं चम्पालाल की बेटी अनीता ने कहा, ‘पापा ने जो फैसला लिया, उससे मैं खुश हूं। मेरी शादी के खर्च के रुपयों से मरीजों की जिंदगी बचेगी।’