सुनने में बड़ा अजीब सा लगता है। शायद इन्हीं को रिश्ते कहते हैं। कहते हैं ना कि रिश्ते की कोई परिभाषा नहीं होती। कुछ रिश्ते खून के रिश्ते होते हैं। कुछ रिश्ते बड़े रिश्ते बन जाते हैं, जोकि वह खून के रिश्तो को भी पीछे छोड़ देते हैं। रिश्तो में अपनी एक अलग महक होती है। हम सभी जमीन पर इन रिश्तों के बहाने से ही एक दूसरे से जुड़े होते हैं, बंधे होते हैं। और जिनके जीवन में रिश्ते नहीं होते उनका जीवन निरंकुश होता है।
जीवन बिल्कुल खाली होता है। दोस्तों एक ऐसी कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। जिस कहानी को सुनने के बाद आपको लगेगा क्या ऐसा भी होता है। दोस्तों ये सच्ची कहानी है और जिसे हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं। और जो एक 89 साल की बुजुर्ग महिला की कहानी है। और कहानी भी ऐसी जो बेहद दिलचस्प और बेहद रोचक है।
इसे सुनने के बाद बड़ा अच्छा लगेगा। रिश्तों पर आपको और भी ज्यादा भरोसा और भी ज्यादा विश्वास आ जाएगा। फिर आप भी किसी भी अजनबी को दिल से प्यार से गले लगाने की कोशिश करेंगे।
घटना गुजरात के राजकोट के भक्तिनगर थाने की है, जहां 89 वर्ष की वीनू बेन अढ़िया नामक वृद्ध महिला पिछ्ले ढ़ाई वर्षों से प्रतिदिन थाने आ रही है। वह महिला प्रतिदिन पुलिस अधिकारीयों द्वारा आइसक्रीम खाती है, फिर आशीर्वाद देकर चली जाती है। थाने के पुलिस अधिकारी इस बुढ़िया मां की सहायता भी करते हैं।
बतादें बुज़ुर्ग वीनू बेन अढ़िया राजकोट के मेहुलनगर की गली नम्बर-6 में रहती हैं। पुलिस का कहना है कि इतनी बुजुर्ग होने के बाद भी वे अपने घर से दिन में दो बार पैदल थाने आती-जाती हैं। यह सिलसिला साढ़े तीन वर्षों से चला आ रहा है।
बुजुर्ग मां जब भी थाने आती हैं, तो पुलिस अधिकारी बहुत ही आदर-सम्मान से पास में बैठाते हैं, और आइसक्रीम खाने के लिए देते हैं। इसके साथ ही उनकी बात अपने फोन से उनके बेटे और पोते से भी करवाते हैं।
एक कॉन्सटेबल ने बताया, “वीनू बेन बरसों पहले कोलकता में शिक्षक रह चुकी हैं, अब वे यहां थाने में दो-ढाई घंटे समय व्यतीत करती हैं। कहने को तो इस रिश्ते का कोई नाम नहीं है, लेकिन मानवता के तौर पर ये रिश्ता एक बड़ी मिसाल के रूप में देखा जाता है।