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Monday, May 20, 2024
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    एक इंसानियत ऐसी भी,इस तरीके से रोज़ यह पुलिसवाला करता है हज़ारो बेजुबानों की मदद

    यह पुलिसवाला करता है हज़ारो बेजुबानों की मदद: महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देश में कर्फ्यू लागू है। इस दौरान केवल जरूरी सेवाओं की छूट है। लोगों के बेवजह घरों से बाहर न‍िकलने पर पाबंदी है। कर्फ्यू के दौरान आवारा जानवर भी भूखे प्‍यासे हैं। ऐसे में पुलिस ने इन आवारा पशुओं को खाना खिलाने की सराहनीय पहल की है। पुलिस ने आवारा पशुओं को खाना और फल खिलाए। पुलिस का कहना है कि, प्रकृति में पशु-पक्षी हमारे मित्र और बंधु हैं, हमें उनकी भी सेवा करनी चाहिए।

    और ऐसा करने से ही पता चलता है कि हम भी इंसान हैं, क्योंकि इंसान वही होता है जो दूसरों के दर्द को समझ सके महसूस कर सके, वरना अपना दर्द जो जानवर भी महसूस करते हैं। इंसान वही होता है जो बेज़ुबानों को भी समझे और उनकी ज़ुबान बनने की कोशिश करे।

    भूखे जानवरो को खाना खिलाता है केरल का यह पुलिसवाला
    भूखे जानवरो को खाना खिलाता है केरल का यह पुलिसवाला

    भूखे जानवरो को खाना खिलाता है केरल का यह पुलिसवाला

    और ऐसा ही कर दिखाया है इस पुलिसकर्मी ने, कौन हैं ये, और कैसे जानवरों की मदद कर रहे हैं इस लॉकडाउन में चलिए आपको बताते हैं। बतादें केरल के एक पुलिसकर्मी ने एक ऐसी मिसाल कायम की है, जिसे जानने के बाद कई लोग इससे प्रेरित होंगे।

    नेमोम पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर सुब्रमण्यम पोट्टी एस को हर रोज वेल्लायनई लेक पर आवारा जानवरों को खाना खिलाते देखा जा सकता है। सुब्रमण्यम रोजाना इस लेक पर जाते हैं और आवारा जानवरों को खाना खिलाते हैं।

    इतना ही नहीं बल्कि, खाना देने के बाद वह दोबारा ये सुनिश्चित करने भी आते हैं कि जानवरों ने सारा खाना खाया या नहीं। सुब्रमण्यम पिछले दो महीनों से जानवरों को खाना खिला रहे हैं। एक दिन अपनी ड्यूटी के दौरान जब सुब्रमण्यम इधर से गुजर रहे थे, तब उन्होंने देखा कि सभी जानवर बीमार और उदास लग रहे थे।

    लॉकडाउन मे कई बेज़ुबान भुखमरी से थे पीड़ित
    लॉकडाउन मे कई बेज़ुबान भुखमरी से थे पीड़ित

    उनकी ये हालत देख कर सब इंस्पेक्टर को ये समझते देर ना लगी कि ये बेजुबान भूखे हैं। अगले ही दिन से सुब्रमण्यम ने इन्हें भोजन कराना शुरू कर दिया। अब तो इन्होंने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि अगर वह छुट्टी पर होते हैं तब भी इन जानवरों को खाना मिल जाता है।

    यह जिम्मेदारी इन्होंने अपने सहकर्मियों को दे रखी है कि उनके ना होने पर भी ये जानवर भूखे ना रहें। सुब्रमण्यम का कहना है कि उनके लिए ये बहुत पुण्य का काम है,और वो इसे निरंतर आगे बढ़ाना चाहते हैं, और उनका मानना है कि उन्हें देखकर अगर और लोग भी इसी तरह से आगे आएं तो ये बहुत बड़ी बात होगी।

    क्योंकि एक इंसान तो बोलकर मदद मांग सकता है, लेकिन जानवर तो वो भी काम नहीं कर सकता है इसलिए हमें आगे आकर ख़ुद बेज़ुबानों की ज़ुबान बनने की ज़रूरत है।

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