महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती रहती है। खासकरके सब्जियां अगर महंगी हो जाए तो लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। महेंद्र साचन पर सब्जियों के बढ़ते दाम का कोई असर नहीं होता, जानते हैं क्यूँ? क्योंकि वह अपने घर की छत पर ही 20 से ज्यादा तरह की हरी सब्जियां उगाते हैं। पेस्टिसाइड्स और केमिकल खाद से पोषित कर उगाई हुई सब्ज़ियाँ खाते वक्त हमारे मन में भी ख्याल आता है की काश थोड़ी सी ज़मीन होती तो खुद की सब्जियां बोते।

इस सपने को हकीकत किया है, महेंद्र साचन ने। महेंद्र साचन की जिन्होंने अपने प्रयास से सिद्ध कर दिया कि इंसान अगर चाह ले तो खुद हीं हर कार्य कर सकता है और दूसरों पर निर्भरता खत्म की जा सकती है।
महेंद्र बाजार की सब्जियों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं इसलिए उन्होंने सब्जियों के उत्पादन हेतु नायाब तरीका अपनाया है।आपको बता दे कि महेन्द्र साचन उत्तरप्रदेश राज्य के लखनऊ के मुंशी पुलिया इलाके के रहने वाले हैं।
उनका कहना है कि बाजार में उपलब्ध सब्जियां एक तो महँगी होती हैं दूसरी वह केमिकल खाद और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से उपजने के कारण स्वादहीन और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से नुकसानदेह होती है।

इंसान के लिए यह महत्वपूर्ण है कि ऐसा भोजन करें जिससे स्वास्थ्य ठीक रहे। जैसा कि आप सब जानते गई कि आज कल सब्जियों को तैयार करने में दवाइयों का तेजी उपयोग होता है जिससे शरीर के लिए काफी हानिकारक होता है।
इसी वजह से महेंद्र घर में ही खेतीं कर सब्जियों का उत्पादन करते है और अपने पड़ोसियों में भी सब्जियों को वितरित करते है। महेंद्र साचन के अनुसार सब्जियों की खेती करने से वह लगभग 2500-3000 रुपये महीना बचा लेते है।

वैसे उन्होंने शुरुआत में सिर्फ़ कुछ ही पौधे लगाए थे, जैसे-बैंगन, लौकी, टमाटर, मूली इत्यादि के। लेकिन बाद में उन्होंने अपने पूरे छत को ही हरी सब्जियों से भर दिया।