भारत के सबसे चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिरों में से एक है भगवान तिरुपति बालाजी। भगवान तिरुपति के दरबार में गरीब और अमीर दोनों सच्चे श्रद्धाभाव के साथ अपना सिर झुकाते हैं। हर साल लाखों लोग तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्र होते हैं।समुद्र तल से तीन हजार दो सौ फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुलमा की पहाड़ियों पर बना श्री वेंकटेश्वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है।

कई शताब्दी पहले बना यह मंदिर दाक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है। कहते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर जितना अद्भुत है उतना ही रहस्यों से भरा है।कहा जाता है कि मंदिर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं।
ये कभी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं। मान्यता है कि ऐसा इसलिए है कि यहां भगवान खुद विराजते हैं। इसी के साथ वेंकटेश्वर स्वामी यानि बालाजी की मूर्ति का पिछला हिस्सा हमेशा नम रहता है।

यदि ध्यान से कान लगाकर सुनें तो आप हैरान रह जाएंगे। क्योंकि जब आप कान लगाएंगे तो आपको समुद्र की आवाजें सुनाई देगी।कहते हैं कि इसी कारण से हमेशा बालाजी की मूर्ति नम रहती है।

तिरुपति बालाजी के मंदिर के इतिहास को देखें तो कहा जाता है कि 18 शताब्दी में मंदिर के मुख्य द्वार पर 12 लोगों को फांसी दी गई थी तब से लेकर आज तक वेंकटेश्वर स्वामी जी मंदिर में समय-समय पर प्रकट होते हैं।

तिरुपति बालाजी के मंदिर की मान्यता के अनुसार भगवान को जो फूल, पत्ती, तुलसी चढ़ाई जाता है उसे भक्तों को नहीं दिया जाता बल्कि उसे बिना देखे मंदिर के पीछे के कुंड में विसर्जित कर दिया जाता है। मान्यता है की इन फूलों को देखना शुभ नहीं होता।