वक्त और किस्मत जिंदगी के ऐसे पहलू हैं जो बदलने में ज्यादा समय नहीं लेते। कभी अर्श पर बैठा इंसान अचानक फर्श पर गिर जाता है, तो कभी फर्श पर बैठा इंसान अचानक अर्श को छू लेता है। ऐसे में आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी महिला की जो करोड़पति घर की मालकिन है पर वह सड़कों पर छोले कुलचे का ठेला लगाकर अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रही है। जी हाँ, यह सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन यह सच है।
जी दरअसल हम बात कर रहे हैं एक ऐसी महिला की जो सडक पर छोले कुल्चे का ठेला लगाती है। वहीं महिला के पास खुद का 3 करोड़ का बंगला है और वह अपने बंगले में लाखों की एसयूवी कार भी रखती है।

अब सवाल ये उठता है कि आखिर इतना सब कुछ होने के बाद महिला को ठेले क्यों लगाना पड़ा। तो चलिए आज आपको इस महिला की कहानी बता देते है। जो महिला छोले कुल्चे का ठेला लगा रही है उसका नाम है उर्वशी यादव और वह गुरुग्राम में रहती है।
दरअसल कुछ साल पहले उर्वशी के पति का एक कार एक्सीडेंट हो गया था, जिसके कारण उन्होंने अपने घर की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली।

वहीं अपने पति के साथ हुई दुर्घटना के बाद उर्वशी ने काफी समय तक तो टीचर की नौकरी की, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें यह अहसास हुआ, कि इतने कम पैसों से वह ना अपना घर चला पाएंगी और ना ही वह अपने पति का इलाज करवाने में समर्थ हो पाएंगी।
उर्वशी के पास खाना बनाने की कला थी उसने सोचा कि दुकान ना सही पर वो एक छोटा सा ठेला जरूर लगा सकती हैं।ऐसे में परिवारवालों ने इसके लिए साफ मना कर दिया।

फिर क्या था उर्वशी ने उन्हें मनाया फिर परिवारवाले मान गए। बस फिर उन्होंने सड़क पर ठेला लगाकर छोले-कुलचे बेचना शुरू कर दिया। गुरुग्राम के सेक्टर 14 में उन्होंने अपना काम शुरू किया। उर्वशी की मेहनत रंग लाई।
उनके छोले-कुलचे तो लोगों ने पसंद किए ही मगर साथ ही लोग उनके लहज़े के भी क़ायल हो गए। पहली बार लोगों ने एक अंग्रेज़ी बोलने वाली लड़की को ठेले पर छोले-कुलचे बेचते देखा था। ये बात हर तरफ़ फैलने लगी।
दूर-दूर से उनके पास ग्राहक आने लगे। आलम ये था कि शुरुआत में ही उनकी हर रोज़ 2 से 3 हज़ार रुपये की बिक्री होने लगी। उर्वशी ने न सिर्फ़ अपने परिवार को संभाला बल्क़ि एक सफ़ल बिज़नेसवुमैन के तौर पर भी उभरीं।

इस दौरान उर्वशी के पति ठीक होकर वापस काम पर लौट गए। धीरे-धीरे चीज़ें पटरी पर लौट आईं। सब ठीक होने लगा तो उर्वशी ने भी अपने छोटे से ठेले को रेस्तरां में बदल दिया। आज उर्वशी के रेस्तरां में छोले-कुलचे के साथ बाकी खाने-पीने का सामान भी मिलता है।