दरअसल कई कहानियां, कई कथाएं कई खबरे प्रचलित होती हैं। कुछ अफवाह साबित हो जाती है तो कुछ सच। अब जिन बातों तक इंसान नहीं पहुंच पाता उसे झूठ या अफवाह बोल देता है और जिन बातों तक इंसान पहुंच जाता है, उसे वो सिद्ध हुआ मानता है।
खैर अब आपको ऐसी ही एक जानकारी देते हैं जहां लोग क्या मानते हैं, पहले तो आपको ये बतादें कुछ लोगों का कहना है कि सम्राट अशोक के समय से ही इस क्षेत्र की मिट्टी में हीरा है। ऐसा माना जाता है कि कुरनूल के पास जोनागिरी को मौर्यों की दक्षिणी राजधानी सुवर्णगिरि के नाम से जाना जाता था।

दूसरों का दावा है कि विजयनगर साम्राज्य के श्री कृष्णदेवराय और उनके मंत्री तिमारुसु ने इस क्षेत्र में हीरे और सोने के गहनों का एक बड़ा खजाना दफन किया था। एक अन्य दावे में कहा गया है कि गोलकुंडा सल्तनत के दौरान क्षेत्र की मिट्टी में हीरे छिपे हुए थे, जिसे कुतुब शाही राजवंश के रूप में भी जाना जाता है, जो हीरे के लिए प्रसिद्ध था जिसे गोलकुंडा हीरे के रूप में जाना जाता था। खैर अब आपको ख़बर विस्तार से बताते हैं।
आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र के अंतर्गत कुरनूल में एक बार फिर हीरे मिलने की चर्चा जोर पर है। जहां एक गरीब किसान का दावा है कि उसे अपने खेत में काम करते वक्त 30 कैरेट का हीरा मिला है। किसान के दावे के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। दरअसल, तुगली मंडल के चिन्ना जोन्नागिरी के एक स्थानीय किसान को अपने कृषि क्षेत्र में काम करने के दौरान हीरा मिला है।

बताया जा रहा है कि किसान ने 30 कैरेट वजन के हीरे को एक स्थानीय व्यापारी को 1.2 करोड़ रुपये में बेच दिया है। आज तक ने पुलिस अधीक्षक कुरूल से संपर्क किया। उन्होंने इस तथ्य की पुष्टि करने की बात कही और बताया कि पिछले कई दशकों से इस जिले में जून से नवंबर के बीच कीमती पत्थर मिलते रहे हैं। यही नहीं, प्री और पोस्ट-मानसून सत्र के दौरान कई ग्रामीण जोन्नागिरी, तुग्गली, मदिकेरा, पगदिराई, पेरावली, महानंदी और महादेवपुरम गांवों में हीरे की तलाश में खेतों में इकट्ठा होते हैं।
लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र बारिश के जमीन की ऊपरी परतें धुल जाती हैं जिसके बाद मिट्टी में कीमती पत्थर मिलते हैं। अब ऐसी बात सुनकर बहुत से लोग इन बातों पर भरोसा करके यहां हीरे की खोज में आते हैं और कुछ इन बातों को अफवाह मात्र बताते हैं।