दृढ़ निश्चय और सही रणनीति के साथ प्रयास किया जाए तो कोई भी सफलता दूर नहीं हो सकती। आप कहां से आते हैं यह बात ज़रा भी मायने नहीं रखती है। यूपीएससी की परीक्षा पास करना हर किसी का सपना होता है। राजस्थान के जैसलमेर के एक छोटे से गांव सुमालियाई के देशल दान के जीवन पर नज़र डालें तो सामने आता है कि इनका और संघर्ष का चोली-दामन का साथ रहा।
इस परीक्षा को जब कोई एवरेज स्टूडेंट पास करता है तो वह सभी के लिए प्रेरणा बन जाता है। यूपीएससी में यह कहना बहुत मुश्किल है कि आप कितने प्रयासों में यहां सफलता प्राप्त कर सकते हैं। घर के वातावरण से लेकर, आर्थिक हालातों तक कुछ भी पक्ष में नहीं था, जिसके दम पर व्यक्ति इतनी बड़ी सफलता हासिल कर ले। पर कहते हैं न कि वो नाविक ही क्या जो धार के विपरीत न बह सके।

यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास करने वाले ही देश के नौकरशाह बन पाते हैं। सात भाई-बहनों में सिर्फ देशल दान और उनके बड़े भाई ने ही शिक्षा का रुख किया। परिवार की आर्थिक स्थितियों के कारण अन्य भाई-बहनों ने पढ़ने में रुचि नहीं दिखाई। न उन्हें पढ़ाई का माहौल मिला न सुविधाएं और न ही संसाधन लेकिन इन सब के बावजूद उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षा देने का न केवल मन बनाया बल्कि पहले ही प्रयास में 82वीं रैंक के साथ टॉप भी किया।

यूपीएससी में सफल कैंडिडेट्स की कहानियां अक्सर आपने सुनी होंगी। यह कहानियां नई ऊर्जा भर देती है। जब आप किसी दृढ़ मानसिकता के साथ कोई काम करते हैं तो उस काम को सफल होने में कोई रोक नहीं सकता। कोई सोच भी नहीं सकता कि एक लड़का जिसके घर में जरूरी चीजें मुहैया कराना भी उसके पिता के लिए मुश्किल था क्योंकि एक चाय की दुकान से घर का खर्च चलता था, वह एक दिन आईएएस अधिकारी बन जाएगा।

अगर इंसान में हिम्मत है तो बड़ी से बड़ी परिस्थिति से वह बखूबी जीत सकता है। सफलता की राह में कभी भी गरीबी तथा आर्थिक तंगी नही आ सकती लेकिन इसके लिए लगन तथा मेहनत की जरूरत है।