जी हां दोस्तों, डी रूपा, एक ऐसा नाम, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। डी रूपा ने जब यूपीएससी की परीक्षा दी, तो उन्हें पूरे भारतवर्ष में 43 वी रैंक मिली। और उनके पास आईएएस बनने का एक सुनहरा अवसर था। लेकिन डी रूपा ने यह नहीं चुना। मानो उनका रास्ता तो कुछ और ही था। वह एक आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थी। आईपीएस अधिकारी बनकर भ्रष्टाचारियों की नाक में नकेल डालना चाहती थी, और उन्होंने ऐसा ही किया। दोस्तों हमारे देश में अनेकों अफसर ऐसे हुए हैं, और आज भी हैं, जिन्हें ना तो ट्रांसफर का डर होता है और ना ही किसी और का।
कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो आज भी अपनी ड्यूटी को ईमानदारी पूरी निष्ठा के साथ करते हैं। उन्हीं में से एक हैं आईपीएस ऑफिसर डी रूपा। बता दें कि आईपीएस ऑफीसर डी रूपा की शादी आईएएस ऑफिसर मुनीश मुद्गल से हुई है।

डी रूपा केवल पुलिस ऑफिसर ही नहीं बल्कि एक भरतनाट्यम डांसर भी रह चुकी हैं। इतना ही नहीं इन्होंने बयालाताड़ा भीमअन्ना नामक कन्नड़ फिल्म में प्लेबेक सिंगर के रूप में भी गाना गाया है।
इन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। दोस्तों आपको बता दें जो अच्छा अधिकारी होता है। अक्सर उसके ट्रांसफर करवा दिए जाते हैं। क्योंकि वह भ्रष्टाचारियों की नाक में नकेल करके रखता है।

ऐसे अधिकारियों को ऐसे ऑफिसर को कुछ गलत पसंद नहीं होता। इसलिए जो गलत करने वाले होते हैं, ऐसे अफसरों के ट्रांसफर करवाते रहते हैं। और आपको जानकर हैरानी होगी, कि आईपीएस अफसर डी रूपा भी इसी श्रेणी में आती हैं।
और इनके भी हर 6 महीने में तबादले होते रहते हैं। 2000 बैच की आईपीएस अधिकारी डी रूपा। उन्होंने अपने 20 साल के करियर में 40 तबादले देखें। तो दोस्तों आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि डी रूपा किस तरह की अफसर होंगी। कैसे अपनी नौकरी करती होंगी।

कैसे अपनी ड्यूटी को निभाती होंगी।कर्नाटक की पहली महिला होम सेक्रेट्री के रूप में काम कर रही हैं। एक बार की बात है जब रूपा को राज्य के गृह विभाग से हैंडलूम एंपोरियम में ट्रांसफर किया गया था तब वहां उन्होंने एक बड़े अफसर के भ्रष्टाचार का खुलासा करके रख दिया था। बता दें कि किसी के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें तुरंत दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया जाता है।
एक बार उन्होंने जेल में बंद AIDMK की नेता शशिकला के खिलाफ आवाज उठाई और उनके खिलाफ कार्यवाही करने का भी दावा कर दिया। 2003-2004 के बीच उस वक्त मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री उमा भारती की गिरफ्तारी को लेकर भी काफी बवाल हुए थे।
बेंगलुरु के सेफ सिटी प्रोजेक्ट पर काम करते वक्त उन्होंने एक वरिष्ठ आईपीएस ऑफिसर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया, जो टेंडर प्रोसेस से जुड़ा था। इसके बाद वहां से भी उनका तबादला हो गया।