देश में तमाम ऐसे लोग हैं जिनकी जिंदगी किसी के लिए भी प्रेरणा का काम कर सकती है। जी हां कई ऐसे लोग है जिनके जीवन में कई कठिनाइयां आयी लेकिन उस मुश्किल घड़ी से निकल कर अपना मुकाम हासिल किया। ऐसी ही लाइफ रही है महाराष्ट्र कैडर के आईएएस राजेंद्र भरुड़ की।

राजेंद्र ने बचपन की आर्थिक तंगहाली को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।उन्होंने वह मुकाम हासिल किया जिसकी लोग कल्पना ही कर सकते हैं। भील आदिवासी समाज से निकले राजेंद्र भरुड़ पहले IPS अफसर बने फिर आईएएस बनकर देश की सेवा कर रहे हैं।

आपको बता दे कि ये जब अपनी मां के गर्भ में थे तब पिता की मौत हो गई। तीन भाई-बहनों और मां के सिर पर रहने को पक्की छत तक नहीं थी। दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं। मजबूर मां ने शराब बेचना शुरू किया।
शराब लेने के लिए आने वाले लोग स्नैक्स के बदले कुछ पैसे राजेन्द्र को दे दिया करते थे। उन्हीं पैसों से राजेन्द्र ने किताबें खरीदी और मन लगाकर पढ़ाई की। नतीजा यह है कि राजेन्द्र अब डॉ. राजेन्द्र भारूड़ आईएएस हैं।

शुरू से ही पढ़ाई में अच्छे रहने वाले राजेंद्र अपनी दसवीं की परीक्षा 95% अंकों के साथ पास की और 12वीं की परीक्षा में उन्होंने 90% अंक लाएँ। इसके बाद 2006 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद इन्हें मुंबई के सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिला।
यहाँ साल 2011 में कॉलेज के बेस्ट स्टूडेंट का अवॉर्ड भी हासिल किया। एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। राजेन्द्र भारूड़ ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्लियर कर लिया।

बातचीत में राजेन्द्र अपने संघर्ष की कहानी बयां करते हुए बताते हैं कि ‘मैंने कभी पिता बंडू भारूड़ को नहीं देखा। परिवार की माली हालात इतनी खराब थी कि उनकी कोई फोटो भी नहीं थी। मैं पेट में था तब वे गुजर गए थे।
मुझसे बड़ा एक भाई और एक बहन है। पिता की मौत के बाद समाज के लोग मेरी मां कमलाबाई से कहते थे कि गर्भपात करवा ले।