भारत में नोट छापने का एकाधिकार यहाँ के केन्द्रीय बैंक अर्थात भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है। भारतीय रिज़र्व बैंक पूरे देश में एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी मूल्यवर्गों के नोट छापता है। एक रुपये के नोट छापने और सभी प्रकार के सिक्के बनाने का अधिकार वित्त मंत्रालय के पास है। एक रुपये के नोट पर रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर नही बल्कि वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।

500 और 2000 के नए नोटों में कई तरह के सुरक्षा फीचर्स का इस्तेमाल किया गया है। दावा किया जा रहा है कि ये देश के सबसे सुरक्षित नोट हैं। ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि इन नोटों पर कितना खर्चा आया है।

500 रुपए और 2,000 रुपए के करेंसी नोट को छापने पर 2.87 रुपए से 3.77 रुपए की लागत बैठती है। रिजर्व बैंक इंडिया को 2000 रुपए के एक नोट को छापने में 3.54 रुपए का खर्चा आता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में 2000 का एक नोट छापने की लागत 65 पैसे ज्यादा थी। नवंबर 2016 में भारत सरकार ने 2000 रुपये के नोट को छापने का ऐलान किया था।
अगर अन्य नोटों की बात करें तो 500 रुपये के नोट को छापने में 2.13 पैसे का खर्चा होता है। वहीं, 200 रुपये के नोट को छापने में 2.15 पैसे का खर्च आता है। वैसे प्रिटिंग प्रेस के आधार पर खर्च में हल्का बदलाव भी हो जाता है।

2018 के डेटा के अनुसार, 10 रुपये के नोट छापने में 1.01 रुपये, 20 रुपये के नोट छापने में 1 रुपये, 50 रुपये के नोट छापने में 1.01 रुपये और 100 रुपये के नोट छापने में 1.51 पैसे का खर्च होता है।
आपको बता दे कि संसद में पेश किए आंकड़ों के मुताबिक साल 2018-19 में 2000 का एक नोट छापने के लिए बीआरबीएनएमपीएल को 3.53 रुपये खर्च करने पड़ते थे। जबकि, इससे पहले फाइनेंशियल ईयर 2017-18 में यह लागत 4.18 रुपये थी।