महामारी के समय में शादी करना किसी चुनौती से कम नहीं रहा है। हालांकि, अब जब स्थितियां कुछ सामान्य हुई हैं तो ऐसे में लोग शादियों में भीड़ कम कर रहे हैं। सरकार की तरफ से यही आदेश है कि शादी के कार्यक्रमों में कम से कम भीड़ इकट्ठा की जाए, जिससे कि किसी को भी किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। इसी को देखते हुए माइक्रो शादी होनी शुरू हो गई है। माइक्रो शादी इस समय काफी ट्रेंड में है।

महामारी की वजह से आए बदलाव को वेडिंग प्लानर भी स्वीकार कर रहे हैं। अब जब दोबारा से तय गाइडलाइन के साथ शादियों की अनुमति मिली तो वेडिंग प्लैनर्स भी नए कॉन्सेप्ट के साथ उतरे आए हैं। या यूं कहें कि शादियों में पुराना कल्चर फिर लौट आया है।
लोग शादियों में अब सिर्फ करीबी रिश्तेदारों को ही बुला रहे हैं और घर की छत, लॉन या बरामदे में फंक्शन ऑर्गनाइज कर रहे हैं। इसी के साथ शादियों में लाइव स्ट्रीमिंग, मास्क और सैनिटाइनजर अब न्यू नॉर्मल होता जा रहा है।

सरकार के निर्देशों के मुताबिक, शादी समारोह में महज 100 लोग ही शामिल हो सकते हैं। ऐसे में मेजबानों के सामने दिक्कत है कि शादी में किसे बुलाएं और किसे नहीं।
माइक्रो वेडिंग होने का मतलब है अपनी शादी की मेहमानों की सूची पर फिर से विचार करना और ये जांच करना कि आपके लिए क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि ये अवसर आपके बजट में होगा।

आपको बता दे कि लॉकडाउन के समय भी लगभग सभी शादियां ऐसी ही हुई है। बहुत कम मेहमान और परिवार के लोगों के बीच ही शादी सम्पन्न हुई है।ऐसे में अब ये चलन चलते आ रहा है क्योंकि सरकार की तरफ से भी निर्देश दिए जा रहे है कि ज्यादा भीड़भाड़ न करें।
इस तरह की शादी का सबसे बड़ा फायदा पैसों की सेविंग्स होती है। भव्य शादियों में फिजूल खर्ची बहुत बड़ जाती है। कई बार तो ऐसी विशाल शादी करने के लिए बेटी का पिता कर्ज के बोझ तले डब भी जाता है।

माइक्रो वेडिंग के चलते ये फालतू का खर्चा कम हो गया है। अब यही पैसे सेव होने पर बाद में किसी अच्छे काम में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।