साल के हो चुके रतन आज भी एकदम फिट और फाइन नजर आते है वैसे आज हम आपको उनकी ज़िन्दगी से जुडी कुछ अनसुनी बाते बताने वाले है।रतन ने अपनी स्कूल की पढ़ाई मुंबई से की थी और ग्रेजुएशन के लिए वो कार्नेल यूनिवर्सिटी ज्वाइन किया जहाँ से इन्होने आर्किटेक्चर बीएस और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम की डिग्री ली थी।
आपको बता दे कि रतन टाटा जेआरडी टाटा के बाद 1991 में टाटा ग्रुप के पांचवें चेयरमैन बने। सॉल्ट-टू-सॉफ्टवेयर कारोबार के चेयरमैन के तौर पर रतन टाटा ने अपने कार्यकाल में टाटा ग्रुप के कारोबार को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए कई बड़े काम किए।

उन्होंने टाटा टेलीसर्विसेज की शुरुआत की और भारत की पहली डेवलप की गई कार इंडिका कार भी बनाई और बेची। रतन टाटा एक सफल इन्वेस्टर के रूप में भी जाने जाते हैं. उन्होंने कई स्टार्टअप्स में पैसा लगाया है जो अब यूनिकॉर्न बन गए हैं।
रतन टाटा के कैब एग्रीगेटर ओला में निवेश किए जाने के बाद एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2015 में इसके शेयर की कीमतें 15,87,392 रुपये से बढ़कर 29,44,805 रुपये हो गईं। ओला के अलावा, उन्होंने पेटीएम, कारदेखो, क्योरफिट, स्नैपडील जैसे सफल स्टार्टअप में भी निवेश किया है।

बता दे रतन टाटा का जन्म 28 दिसम्बर सन 1937 को गुजरात के सुरत में हुआ था और बीते 28 दिसम्बर को रतन टाटा का जन्मदिन था और इस साल रतन टाटा पूरे 83 साल के हो चुके है। वहीं टाटा वर्ष 1962 में टाटा समूह से जुड़े। कई कंपनियों में काम करने के बाद 1971 में टाटा को नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड का डायरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया था।

जे आर डी टाटा वर्ष 1991 में टाटा संस के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद रतन टाटा को टाटा संस का पांचवां चेयरमैन बनाया गया। अपने कार्यकाल के दौरान टाटा ने नई प्रतिभाओं को मौके दिए और कंपनी की बुनियाद को सुदृढ़ किया।