देश में कई ऐसी अद्भुत चीजें है जो काफी रहस्यमयी हैं। उन्हीं में से एक है भीभ कुंड। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित बाजना गांव में मौजूद इस कुंड को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं। इसका संबंध महाभारत काल से है। कहा जाता है इस कुंड की गहराई इतनी ज्यादा है कि इसे नापने के लिए लगाए गए तमाम यंत्र तक फेल हो चुके हैं, लेकिन इसकी सटीक जानकारी किसी को नहीं मिल सकी है।

आपको बता दे कि वर्तमान समय में यह स्थान धार्मिक पर्यटन एवं वैज्ञानिक शोध का केंद्र भी बन हुआ है। यहां स्थित जल कुंड भू-वैज्ञानिकों के लिए भी कौतूहल का विषय है। दरअसल, यह कुंड अपने भीतर ‘अतल’ गहराइयों को समेटे हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि 18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में बिजावर रियासत के महाराज ने यहां पर मकर संक्रांति के दिन मेले का आयोजन करवाया था।

उस मेले की परंपरा आज भी कायम है। मेले में हर साल हजारों लोग शामिल होते हैं। कहते हैं कि इस रहस्यमय कुंड की गहराई पता करने की कोशिश स्थानीय प्रशासन से लेकर विदेशी वैज्ञानिक और डिस्कवरी चैनल तक ने की है लेकिन इसका कोई पता नही लगा पाया। ये देखने बिल्कुल साधारण कुंड की तरह दिखाई देता है। पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास पर थे।

तब वे पानी की तलाश में यहां पहुंचे थे, लेकिन यहां पानी का कोई स्त्रोत नहीं था। तब भीम ने अपनी गदा को जमीन पर मारकर यह कुंड बनाया था। तभी इस कुंड की आकृति बिल्कुल गदा की तरह है। इस कुंड से जुड़ी एक और मान्यता है कि, जब भी देश पर कोई प्राकृतिक आपदा या संकट आता है, उससे पहले ही यहां का पानी बढ़ने लगता है।