जिंदगी में हर तरह की समस्याएं आती है लेकिन उसका सामना करना हर किसी की बात नहीं होती। जो जिंदगी की कठिन परीक्षाओं से हार गया उसका भगवान भी साथ नहीं देते।
सालों पहले जब के.सी. रेखा, कार्तिकेयन नाम के लड़के के साथ प्यार में पड़ीं तब उन्हें परिवार के किसी भी समर्थन के बिना जाति व्यवस्था से लड़ना पड़ा। 20 सालों में उन्होंने कई सामाजिक कलंकों के खिलाफ लड़ाई लड़ीं।
रेखा एक ऐसी इकलौती महिला है जो हर दिन समुद्र की लहरों से टकराकर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण करती है। जी हां भारत की पहली और एकमात्र मछुआरी के रूप में जानते हैं।
देश के प्रमुख मरीन संस्थान दि सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया है। इस कार्यक्रम में रेखा को लाइसेंस दिया गया और इस तरह केसी रेखा देश की पहली लाइसेंस धारी महिला फिशर वुमन बन गई हैं।
आप सब जानते है कि समुंद्र से मछली पकड़ना कितना मुश्किल होता है और ऐसे में रेखा का ये काम बेहद सराहनीय है क्योंकि रेखा ने वो कर दिखाया जो एक पुरूष करते है।
रेखा का ये कदम अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा है। रेखा ने ये काम कर साबित कर दिया है कि महिलाएं पुरुष से कम नहीं है। आपको बता दे कि रेखा के पति पी.कार्तिकेयन समुद्र में मछलियां पकड़ने का व्यवसाय करते थे।
चार बेटियों की मां रेखा का संघर्ष 10 साल पहले शुरू हुआ था। दस साल पहले जब रेखा के पति के सहायक दो नाविकों ने काम छोड़ दिया तब इस दम्पत्ति की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि नए नाविकों को काम पर रखा जा सके।
उस वक्त रेखा ने अपने पति का साथ देने का निश्चय किया और पति के साथ समुद्र में जाकर काम की हर एक बारीकी सीखी। ऐसे में रेखा ना सिर्फ देश की पहली बल्कि इकलौती ऐसी मछवारिन है जो हर दिन समुद्र में सरकार की अनुमति से उतरती है।
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