हम डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा देते है। हमे शरीर से कोई भी समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर्स के पास जाते है लेकिन कभी कभी यही डॉक्टर भगवान कहे जाने वाले मरीजों के साथ विश्वासघात कर जाते है और इसी के साथ मरीजों को लूटने का काम करते है।
कुछ ऐसा ही हुआ है बेंगलुरु में रहने वाले एक मरीज के साथ। बेंगलुरु की 33 वर्षीया पूनम राना पांच साल से मनिपाल अस्पताल में भर्ती हैं। फिलहाल वे कोमा में हैं। इतने लंबे समय तक भर्ती रहने वाली संभवत: वे महाराष्ट्र की दिवंगत अरुणा शानबाग के बाद दूसरी महिला हैं।

उनके इलाज का बिल 6 करोड़ रुपए पार कर गया है। पेट दर्द की जांच के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूनम राना का केस इन दिनों चर्चा में है। पूनम बीते पांच साल से मणिपाल अस्पताल में एडमिट है।
उनका हॉस्पिटल बिल 6 करोड़ पार कर चूका है।सबसे हैरानी की बात है कि ये बिल पेट दर्द के इलाज के नाम पर बनाया गया है। परिजन इस मामले में अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हैं। परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस और सरकार के सामने शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली है।

वहीं पूनम के पति राजेश नायर पत्नी की देखभाल के लिए आईएमबी और माइक्रोसॉफ्ट की जॉब छोड़ चुके हैं. वहीं, परिवार ने किसी तरह इलाज के 1.34 करोड़ रुपये चुका दिए हैं। बीते 5 सालों के दर्द को याद करते हुए नायर कहते हैं, ‘पूनम पूरी तरह स्वस्थ लड़की थी, जो मनिपाल हॉस्पिटल में मात्र पेट दर्द की शिकायत लेकर गई थी।’
उन्होंने बताया, ‘सर्जरी के दौरान हुई गलतियों की वजह से पूनम कोमा में चली गई थीं और बिस्तर पर हैं.’ उनके पति रेजिश नायर ने आरोप लगाया कि उनकी वनस्पति अवस्था “लापरवाही के कारण … एक सर्जरी के दौरान अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा मरीज को ऑक्सीजन से वंचित करने” के कारण आंत में रिसाव को बंद करने के लिए थी। यह गंभीर मस्तिष्क क्षति का कारण है, उन्होंने आरोप लगाया।