क्या किसानों ने तिरंगा उतारकर लाल किले पर फहराया ‘खालिस्तानी झंडा। दिल्ली में मंगलवार को गणतंत्र दिवस की परेड के बाद ट्रैक्टर रैली के दौरान आंदोलित भीड़ में से कुछ लोग लाल किले की प्राचीर पर चढ़ गए।
ये लोग कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों से जुड़े बताए जा रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों ने लाल किले की प्राचीर पर कुछ झंडे फहरा दिए।

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया है कि इन लोगों ने लाल किले की प्राचीर से भारतीय झंडे को उतारकर ‘खालिस्तानी झंडा’ फहरा दिया। इसके बाद से लोग इसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।
लेकिन आज हम जो कुछ भी आपको बताने जा रहे हैं दरअसल ये पूरी सच्ची बातें हैं क्योंकि ये पूरी बातें वहां पर मौजूद चश्मदीद ने बताई हैं। बतादें कि सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की झांकी में सीएचसी का प्रतिनिधित्व करने के लिए गणतंत्र दिवस की परेड में मिस्बा हाशमी भी अपनी टीम के साथ गई थी।

इनकी झांकी लाल किले के पास आकर खत्म हुई और उसी वक्त किसानों के उग्र आंदलोन के कारण ये वहां पर फंस गई। मिस्बा हाशमी के साथ ओर लोग भी मौजूद थे जो कि अचानक से शुरू हुई हिंसा के कारण लाल किले में फंस गए।
सूचना मिलने पर सुरक्षाकर्मियों ने इन्हें रेस्क्यू किया। ये लोग करीब पांच घंटे तक यहां फंसे रहे। अपने साथ हुई इस भयानक हादसे पर मिस्बा हाशमी ने कहा कि डरावना मंजर देखकर सभी की सांस अटक गई थी।

उपद्रवी सुरक्षाकर्मियों पर भी हमला कर रहे थे। सभी को ये देखकर काफी डर लग रहा था। तभी कुछ सुरक्षाकर्मी उनके पास आए और उन्होंने बचाया। उनके साथ मौजूद करीब डेढ़ सौ युवाओं को सुरक्षा कर्मी लाल किले के अंदर ले गए।
पुलिसकर्मियों ने सभी लोगों को दीवार से दुबक कर बैठने को कहा। सभी को इस बात का डर था कि कहीं उपद्रवी अंदर न आ जाए। टीम में काफी संख्या में लड़कियां शामिल थीं और सभी डरी हुई थी।

हालांकि एक दो सुरक्षाकर्मी उनके पास मौजूद थे। सुबह से ये लोग भूखे प्यास लाल किले के अंदर छुपकर बैठे रहे। मिस्बा ने बताया कि मोबाइल से उसने युवाओं की टीम को रेस्क्यू करने के लिए ट्वीट भी किया था।
लेकिन बाहर के हालात खराब थे। बताते चलें कि युवा आंत्रप्रन्योर मिस्बा हाशमी यमुनानगर के गांव बुडिया में सीएससी चलाती है। डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देशभर के वीएलई को संबोधित किया था।

उस दौरान प्रधानमंत्री ने मिस्बा की तारीफ की थी और देश में चल रही डिजिटल क्रांति का रोल मॉडल इन्हें बताया था। इसके अलावा मिस्बा हाशमी को कई सारे राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से भी नवाजा गया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो बीते गणतंत्र के दिन जो तस्वीरें निकलकर सामने आईं थीं उन तस्वीरों को भविष्य में कोई भी याद नहीं करना चाहेगा।