भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ओडिशा की राजधानी में प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर के नजदीक एक बहुत ही प्राचीन मंदिर का ढांचा मिला है। मंदिर का यह ढांचा 10-11वीं शताब्दी का बताया जा रहा है।
दरअसल, लिंगराज मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए एकमारा क्षेत्र हेरिटेज प्रोजेक्ट के तहत खुदाई का काम चल रहा था, उसी दौरान जमीन के नीचे पूरा पत्थर का ढांचा मिला है।

दरअसल, लिंगराज मंदिर के पास सौंदर्यीकरण कराने के लिये खुदाई का काम चल रहा था, उसी दौरान जमीन के नीचे से कुछ ऐसे पत्थर निकलने लगे जो पुराने इतिहास की गाथा बता रहे थे।
हालांकि, अभी बहुत ही कम हिस्से की खुदाई हुई है लेकिन जमीन के अंदर से जो ढांचा बाहर आया है, उससे स्पष्ट हो रहा है कि वहां पर किसी भव्य प्राचीन मंदिर के अवशेष दबे पड़े हैं।

पुरातत्व विभाग का मानना है कि पंचायती मॉडल पर सारी मंदिर परिसर बनाया गया, जहां मुख्य मंदिर चारों तरफ से सहायक मन्दिरों से घिरा हुआ है। साथ ही ये अंदेशा लगाया जा रहा है कि ये सोम वंश के शासन के समय का मंदिर है।
खुदाई में कुछ दीवारों के हिस्से मिले हैं जिनपर कुछ मूर्तियां बनी हैं और उनपर नक्काशी की हुई है। ये मूर्तियां पहले ध्वस्त संस्कृत महाविद्यालय के परिसर के नीचे दफन थीं।

पुरातत्व विभाग ने वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करके खुदाई का काम किया है जिससे मूर्तियों का हिस्सा ज्यादा क्षतिग्रस्त न हो। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के अधीक्षक अरुण मल्लिक ने बताया कि खुदाई के कार्य में प्राचीन मंदिर मिला, अभी दूसरे भाग में भी खुदाई का काम हो रहा है।
दीवारों के कुछ भाग में पुराने राजवंशों के उकेरे हुए स्टेचू मिले हैं। ये पहले ध्वस्त हुए संस्कृत विद्यालय के परिसर के नीचे दफ़न थे।