महाभारत में अश्वत्थामा एक ऐसे योद्धा थे, जो अकेले दम पर संपूर्ण युद्ध लड़ने की क्षमता रखे थे। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के श्राप की वजह से अश्वत्थामा आज भी धरती पर भटक रहे हैं।
समय-समय लोग लोग इस बात का सबूत भी देते रहे हैं, जिसमें से एक है असीरगढ़ किले से जुड़ी एक कहानी। आपको बता दें कि अश्वथामा को युगों-युगों तक धरती पर भटकने का श्राप मिला था जिसके बाद समय-समय पर लोग उन्हें देखने का दावा करते रहते हैं।
कहा जाता है कि मध्यप्रदेश के एक शिव मंदिर में आज भी अश्वथामा आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। जन्म से ही उनके मस्तक में मणि थी और मणि के कारण ही उन पर किसी भी दैत्य, दानव, शस्त्र, व्याधि, देवता, नाग आदि का असर नहीं होता था।
लोक कथाओं के अनुसार जब अश्वत्थामा का जन्म हुआ तो जन्म लेते ही अश्व के समान घोर शब्द किया था। तभी आकाशवाणी हुई कि यह बालक अश्वत्थामा के नाम से प्रसिद्ध होगा।
आपको बता दें कि अश्वथामा महाभारत काल के योद्धा थे और उन्हें कभी भी कोई नहीं हरा पाया लेकिन उनकी एक छोटी की भूल की वजह से एक श्राप मिला था जिसकी वजह से कहा जाता है कि वो आज भी धरती पर भटक रहे हैं।
दरअसल अपने पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने निकले अश्वत्थामा को उनकी एक चूक भारी पड़ी और भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया। ऐसा कहा जाता है कि पिछले पांच हजार सालों से अश्वत्थामा की आत्मा भटक रही है। वहीं शिवलिंग पर प्रतिदिन सुबह ताजा फूल एवं गुलाल चढ़ा मिलना अपने आप में एक रहस्य है।
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