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Thursday, April 25, 2024
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    किसान आंदोलन पर सरकार की बड़ी जीत, ऐसा खेला मास्टर स्ट्र्रोक किसान हुए सोचने को मजबूर

    किसान और केंद्र सरकार इन दोनों के बीच कई दिनों से कृषि बिल को लेकर विवाद चल रहा है. दोनों के बीच इस मसले को सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन सभी बेनतीजा ही निकली. किसान और सरकार के बीच बुधवार को एक बार फिर बात हुई, इस बार सरकार ने बड़ा स्टैंड ले लिया है.

    दोनों के बीच यह दसवें दौर की यह मीटिंग बेहद अलग और अहम रही. कानूनों को होल्ड पर रखने का बड़ा प्रस्ताव देते हुए केंद्र सरकार ने खेल बदलते हुए डेढ़ साल तक यह बाज़ी किसानों के हाथ में दे दी है.

    केंद्र द्वारा लिए गए इस फैसले पर किसान नेता भी सोचने के लिए मजबूर हो गए हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि किसान नेताओं ने गुरुवार को इस मामले में बैठक कर सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए कहा है.

    गौरतलब है कि 22 जनवरी को फिर होने वाली बैठक में किसान नेता केंद्र सरकार के फैसले पर अपना जवाब देंगे. अगर किसान सरकार के इस प्रस्ताव से सहमत होते है तो, मुमकिन है ये किसान आंदोलन ख़त्म हो सकता है.

    बुधवार को ढाई बजे से बैठक शुरू होने से पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश के गृहमंत्री अमित शाह के घर जाकर मीटिंग की. बता दें कि गृहमंत्री के घर पर दसवें दौर की बैठक को लेकर यह खास तरह की रणनीति बनी.

    जानकारी के मुताबिक इस दौरान सरकार की तरफ से अब तक का सबसे बड़ा स्टैंड लेने का फैसला किया गया.

    मंत्रियों के बीच बात हुई कि 26 जनवरी से पहले किसानों का आंदोलन ख़त्म करने और उसे रोकने के लिए यही एकमात्र रास्ता है कि किसानों के सामने कानूनों को कम से कम एक से डेढ़ साल तक के लिए रोका जाए और साथ ही इस दौरान दोनों पक्षों की बातचीत जारी रहे.

    यह प्रस्ताव कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान नेताओं के समक्ष भी रखा. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में किसान नेताओं से कहा कि कृषि सुधार कानूनों को सरकार एक से डेढ़ वर्ष तक रोक सकती है.

    किसान नेताओं और सरकार के बेच यह बैठक लगभग साढ़े पांच घंटे तक चली. उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव इसलिए रखा गया ताकि कड़ाके की ठंड में किसान अपने घर पर रहकर आराम कर सकें और सरकार इस बीच इस बारे में सोच सकें. कृषि मंत्री ने साथ ही कहा, जिस दिन किसानों का आंदोलन समाप्त होगा, उस दिन भारतीय लोकतंत्र के लिये जीत होगी.

    आपको बता दें कि कृषि मंत्री तोमर ने 22 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में किसानों का विरोध प्रदर्शन समाप्त होने की सहमति तैयार होने को लेकर बात कही है. ज्ञात होकि सरकार और किसानों के बीच का यह मामला कोर्ट भी पहुंच गया है.

    कोर्ट ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए कमेटी बनाया है. आज किसान नेता अपनी मेटिंग करने वाले है, जिसमे वह सरकार के इस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे. इसके बाद अगली मीटिंग में वह अपना निर्णय सुनायेंगे.

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