आरएमएस टाइटैनिक को 20वीं सदी की शुरुआत में इंग्लैंड की जहाज बनाने वाली एक कंपनी वाइट स्टार लाइन ने बनाया था। यह तीन ओलिंपिक क्लास जहाजों में से एक था। इसके निर्माण का काम 1909 में शुरू हुआ था और 1912 में इसे पूरा कर लिया गया था।
2 अप्रैल, 1912 को इसका समुद्री परीक्षण हुआ था। 10 अप्रैल, 1912 को जहाज इंग्लैंड से न्यू यॉर्क के लिए रवाना हुआ था। 14 अप्रैल, 1912 को रविवार के दिन जहाज समुद्र में बर्फ के एक पहाड़ से टकरा गया।
टकराने के महज दो घंटे 40 मिनट के अंदर जहाज डूब गया। जी हां टाइटैनिक के बारे में तो आपने बहुत पढ़ा और सुना होगा। हम उस टाइटैनिक जहाज की बात कर रहे हैं, जिसपर फिल्म बनी थी। दुनिया के सबसे बड़े जहाज के तौर पर विख्यात टाइटैनिक को डूबे 108 साल हो चुके हैं।
लोगों को पता है कि उसका मलबा कहां है, लेकिन आज तक उस मलबे को समुद्र से निकाला नहीं गया है। आपको बता दे कि लगभग 70 साल तक इस जहाज का मलबा अनछुआ ही समुद्र के अंदर पड़ा रहा था।
पहली बार साल 1985 में टाइटैनिक के मलबे को खोजकर्ता रॉबर्ट बलार्ड और उनकी टीम ने खोजा था। अब उन टाइटैनिक प्रेमियों के लिए अच्छी खबर हैं जो टाइटैनिक के मलबे को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। अब आप खुद टाइटैनिक के मलबे को देख सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको करीब 93 लाख रुपए खर्च करने होंगे।
यह समुद्र की सतह से लगभग 12,467 फीट नीचे की यात्रा होगी। वहीं पानी के नीचे की दुनिया की खोज करने वाली एक कंपनी ने टाईटैनिक सर्वे एक्सपीडिशन 2021 प्रोजेक्ट की घोषणा की है। इस दौरान लोगों को टाइटैनिक के मलबे की सैर कराई जाएगी।
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