36.1 C
Delhi
Friday, March 29, 2024
More

    Latest Posts

    इस शिक्षिका ने बदल दी सरकारी स्कूल की छवि ,दे रहा है प्राइवेट स्कूल को मात

    इस दुनिया में शिक्षा के पेशे को सबसे अच्छे और आदर्श पेशे के रूप में माना जाता है क्योंकि शिक्षक किसी के जीवन को बनाने में निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देते हैं। उनके समर्पित कार्य की तुलना किसी अन्य कार्य से नहीं की जा सकती है। गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है।

    हम यह बात भली-भांति जानते हैं कि जीवन में माता-पिता का स्थान कभी भी कोई नहीं ले सकता है, क्योंकि वह हमें इस रंगीन खूबसूरत दुनिया में लाते हैं।

    ऐसा कहा जाता है कि जीवन के सबसे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं, लेकिन जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं। सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

    वहीं इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी 75 जिलों में से एक शिक्षक को राज्य शिक्षक पुरस्कार दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान की वजह से उन सभी को यह पुरस्कार मिला है, जिसमें अपने जज्बे से सरकारी स्कूल की तस्वीर बदलने वाली कानपुर से नीलम सिंह को भी चुना गया है।

    अगर जब भी सरकारी स्कूल की बात की जाती है तो दिमाग में एक छवि उभर कर सामने आ जाती है, जिसमें बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते होंगे, ब्लैकबोर्ड टूटा हुआ होगा और टीचर देर से स्कूल आ रहे होंगे।

    परंतु अब वैसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि अब सरकारी स्कूलों की तस्वीरें समय के साथ-साथ बदलती जा रही हैं। कुछ ऐसा ही बदलाव की तस्वीर कानपुर में भी देखने को मिलता है।

    आपको बता दें कि कानपुर में कल्याणपुर ब्लॉक में कटरी शंकरपुर सराय गांव के अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक विद्यालय एक प्राइवेट स्कूल के जैसा ही लगता है।

    जी हां, यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाता है। कॉपी किताबों, ब्लैक बोर्ड के साथ क्रिएटिविटी के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई की जाती है।

    यहां के शिक्षकों ने कितनी मेहनत से स्कूल की तस्वीर को बदला होगा, आप स्कूल की तस्वीर देखकर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं।

    प्रधानाध्यापिका नीलम सिंह को शिक्षक दिवस पर उत्तर प्रदेश राज्य शिक्षक अवार्ड से नवाजा गया है, जिन्होंने अपने जज्बे से सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी है। नीलम सिंह के द्वारा ऐसा बताया गया कि जब वह स्कूल गई थीं, तभी स्कूल की तस्वीर बेहद खराब थी। उन्होंने बताया कि वहां पर फैसिलिटी नहीं थी लेकिन उन्होंने सरकार की मदद से स्कूल की तस्वीरें बदली।

    आज स्कूल में केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना कायाकल्प के 22 बिंदुओं में 19 मानक पूरे हैं। इनमें दिव्यांगों के लिए बाथरूम, यूरिनल, विद्यालय में टाइल्स, खेलने के लिए मैदान, व्हाइट बोर्ड यह सब शामिल हैं। अब अभिभावक भी सरकारी स्कूल की बदलते इन तस्वीरों की वजह से अपने बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूलों में करवा रहे हैं।

    यही वजह थी कि 2018 में इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक सिर्फ 84 बच्चे ही पढ़ते थे लेकिन शिक्षकों ने घर-घर जाकर लोगों को स्कूल में दाखिला के लिए प्रेरित किया। अब बच्चों की संख्या स्कूल में 149 पहुंच चुकी है।

    एक मीडिया से बातचीत के दौरान नीलम सिंह ने बताया कि अब सरकारी विद्यालयों की तस्वीर बदल रही है। उन्होंने बताया कि जैसे प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ाई कराई जाती है, वैसे ही अब सरकारी विद्यालय में भी हो रही है।

    बच्चों को क्रिएटिव बनाया जा रहा है। बच्चों को खेल खिलाए जा रहे हैं, जिससे वह मन लगाकर यहां पर पढ़ाई कर रहे हैं। नीलम सिंह ने बताया कि यहां के बच्चे भी निकलकर इंजीनियर और डॉक्टर बनेंगे, वह दिन दूर नहीं है।

    Latest Posts

    Don't Miss

    Stay in touch

    To be updated with all the latest news, offers and special announcements.