देश की महिलाएं आजकाल हर एक क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर देश का और अपना नाम कमा रही हैं।लेकिन आज भी कई जगहों पर लड़को लड़कियों में भेदभाव होता है।ऐसे ही भेदभाव को झेलते हुए भी पूरी हिम्मत के साथ अपना काम करती कविता और शिवानी।
आइए जानते हैं इन दोनो की कहानी,ये दोनो लड़किया कैब चलाती है और इसके साथ ही अपने घर को भी चलाती है।इन दोनों को ही हर दिन दो तीन ऐसी बातें कही की हैं – तुम लड़की हो कैब नहीं चला सकती… गाड़ी चलाना मर्दों का काम है, महिला ड्राइवर है तो बुकिंग कैंसल कर दो।
लेकिन ऐसी बातों को सुनने के बाद भी इन कविता ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और ऐसी बातों से उसका हौसला बढ़ता ही गया।
दिल्ली में भलस्वा डेयरी की रहने वाली कविता ने 12वीं पास करने के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते आगे की पढ़ाई छोड़ दी।लेकिन वो पारंपरिक लड़कियों के कामों से कुछ अलग करना चाहती थी।कविता ने बताया कि उसकी एक जानने वाली कैब चलाती थी, उसे देखकर ही उसने ड्राइविंग सीखी।
इसके बाद उसने कैब चलना शुरू कर दिया,जिसको अब पूरे 5 साल हो गए हैं।लेकिन उन्होंने बताया कि,आज भी कई बार यह सुनने को मिलता है कि ये महिला है गाड़ी नहीं चला सकती।
कई बार तो आवाज सुनकर फोन कट कर दिया जाता है और बुकिंग कैंसिल कर दी जाती है। मेरी लाईफ में हर रोज एक नया संघर्ष होता है।
लेकिन मैंने भी ठाना है कि मैं जिस इरादे से आई थी उसे पूरा करूंगी।कविता का कहना है कि लोगों को ये समझन की जरूरत है कि लड़कियां कम नहीं हैं और वे भी अच्छी गाड़ी चला सकती हैं।
वही अगर शिवानी के बारे मे बात करे तो वह 35 साल है और कई सालों से वह दिल्ली में ही रह रही हैं। 2009 में शिवानी का तलाक हो गया था। दो बच्चों की जिम्मेदारी शिवानी के सिर पर थी और उसने इसे इज्जत के साथ पूरा करने की ठान ली।शिवानी ने ड्राइवर बनना पसंद किया।लेकिन इतने सालों के बाद भी उसका कहना है कि कुछ नहीं बदला है लोगों की सोच नहीं बदली है, लोगों के ताने नहीं बदले हैं।
शिवानी ने बताया कि कई बार तो लोग आकर सामने से बुकिंग कैंसिल कर देते हैं या बात सुनकर फोन काट देते हैं। लेकिन इन सब बातों का फर्क नहीं पड़ता।कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं जो हमारे साथ सफर करते हैं और हमारा हौसला बढ़ाते हैं।
इस सफर में हर रोज एक नया संघर्ष मिलता है लेकिन मेरा मानना साफ है कि यह सफर कठिन जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है।