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Friday, March 29, 2024
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    पिता के सपने को अपना मकसद बना हरियाणा की इस बेटी ने किया कमाल, दंगल में गोल्ड जीत पूरा किया सपना

    एक बच्चे ही होते हैं जो अपने माता-पिता के सपनों को अपना सपना बना कर उसे पूरा करने में जी जान लगा देते हैं। हर मां-बाप यही चाहते हैं कि अगर वह सफल नहीं हो पाए तो उनके बच्चे जरूर सफलता हासिल करें। ऐसा ही एक सपना एक पिता ने अपनी बेटी के लिए देखा था और आज वह बेटी भी अपने पिता की उम्मीदों पर खरा उतर रही है। पिता के पहलवानी के सपने को (Under-15 Asian Wrestling Championship, Bahrain) अपना सपना बनाकर बेटी ने दंगल में गोल्ड मेडल जीतकर उनका नाम रोशन कर रही है। हम बात कर रहे हैं हरियाणा के रोहतक के रिठाल फोगाट गांव के रहने वाले सुरेंद्र और उनकी पहलवान बेटी दीपांशी की।

    सोमवार को बहरीन में आयोजित अंडर-15 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में हरियाणा की दीपांशी ने 39 किलोग्राम महिला वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान-सम्मान बढ़ाया है। अपने पहले ही अंतर्राष्ट्रीय दंगल मैच में दीपांशी ने अपने फुर्तिलेपन विरोधी खिलाड़ी को चित कर दिया।

    बता दें कि दीपांशी के पिता सुरेंद्र गांव में ही दो एकड़ जमीन पर खेती बाड़ी करते हैं और मां मीनू एक गृहणी हैं। मां मीनू ने बताया कि बच्चों का रुझान उनके पिता ने ही कुश्ती की तरफ कराया।

    पिता का था इंटरनेशनल पहलवान बनने का सपना

    उन्होंने बताया कि पहले दीपांशी के पिता भी गांव में पहलवानी करते थे। लेकिन जब उनपर घर की जिम्मेदारियां बढ़ीं तो उनको पहलवानी छोड़नी पड़ी और अपनी बेटी को इंटरनेशनल पहलवान बनाने की ठानी। जिसके बाद वह बच्चों पर पूरा ध्यान देने लगे।

    इसके बाद उन्होंने गांव में ही भीम फोगाट कुश्ती एकेडमी में अपने तीनों बच्चों दीपांशी, मीनाक्षी और प्रिंस को भेजना शुरू किया। और अब यह बच्चे कुश्ती के दाव-पेंच सीखकर अपने पिता के सपने को पूरा करने की ओर बढ़ रहे हैं।

    कोच ने पहचानी प्रतिभा

    साल 2017 में जब दीपांशी एकेडमी में प्रैक्टिस करने आती थीं, उसी समय कोच भीम फोगाट व सुनील ने उनकी प्रतिभा पहचान ली थी। अब तो वह अपनी छोटी बहन व भाई को भी कुश्ती के दांव-पेंच बताती है।

    रोजाना 4 घंटे प्रैक्टिस

    तीनों बच्चे मॉडल संस्कृति राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सांघी में पढ़ते हैं। दीपांशी जहां नौवीं कक्षा की छात्रा हैं, वहीं मीनाक्षी छठी और प्रिंस तीसरी कक्षा के छात्र हैं। गांव में ही रोजाना करीब चार घंटे तीनों बच्चे कुश्ती की प्रैक्टिस करते हैं।

    छोटी उम्र में बड़ी उपलब्धि

    छोटी से उम्र में ही दीपांशी ने बड़ी उपलब्धि हासिल कर परिवार का नाम रोशन कर दिया है। अब तक वह अनेक मेडल अपने नाम कर चुकी हैं और इनमें से ज्यादातर गोल्ड हैं। इसी साल बिहार के राजधानी पटना में आयोजित हुई अंडर 15 नेशनल प्रथम रैंकिंग कुश्ती सीरीज में गोल्ड मेडल जीत कर हरियाणा का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। 2021 में दीपांशी ने नेशनल में गोल्ड जीता और 2022 में भी जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

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