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Tuesday, December 12, 2023
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    पानी का था डर, पानी ने ही बनाया हरियाणा के इस युवा को चैंपियन, ऐसे जगी जीत की तलब

    हरियाणा के युवा हर क्षेत्र में प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। खेलों के प्रति तो हरियाणा के युवा हमेशा से ही आकर्षित रहे हैं। हरियाणा को पहलवानों की धरती भी कहा जाता है क्योंकि यहां ज्यादातर युवा दंगल, कुश्ती जैसे खेलों को ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि हरियाणा में केवल यही खेल खेले जाते हैं। हरियाणा की औद्योगिक नगरी के युवा तैराकी में सफलता के नए आयाम लिख रहे हैं। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में वंश पन्नू ने गोल्ड मेडल जीतने के साथ-साथ नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया था।

    वहीं दूसरी तरफ विराट नगर के अनिरुद्ध नांदल ने सब जूनियर नेशनल तैराकी प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

    दिलचस्प बात तो यह है कि अनिरुद्ध ने किसी प्रसिद्ध और वर्ल्ड फेमस तैराक से नहीं बल्कि वंश से प्रेरित होकर तैराकी सीखी। दोनों खिलाड़ियों के कोच राजेश दहिया हैं और दोनों ही एक ही स्कूल बाल विकास प्रोग्रेसिव स्कूल के छात्र है। इन दोनों से प्रेरित होकर स्कूल के 12 अन्य छात्र भी तैराकी का अभ्यास कर रहे हैं।

    शौकिया तौर पर तैरना शुरू किया, लगा दी पदकों की झड़ी

    वंश के पिता एडवोकेट करण सिंह पन्नू उनको स्विमिंग कराने के लिए बाल विकास स्कूल ले गए। तब वहां कुछ दिन वंश ने शौकिया तौर पर अभ्यास किया। लेकिन धीरे-धीरे जब हमको इसमें मजा आने लगा, तो उन्होंने तैराकी को खेल के तौर पर अपना लिया। फिर उन्होंने एक के बाद एक राज्य व राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिताओं में मेडल जीते। वंश हमेशा से ही पढ़ाई-लिखाई में होशियार थे।

    बता दें कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स मोबाइल में तैराकी में 200 मीटर में रजत पदक हासिल किया था। 50 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक इस प्रतियोगिता को 29.82 सेकंड में पूरा कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था। आगामी नेशनल तैराकी प्रतियोगिता के लिए वह रोजाना करीब 8 घंटे प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनका लक्ष्य एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतना है।

    कभी अनिरुद्ध को पानी से लगता था, अब उसी पानी में तैर कर जीत रहा है पदक

    अनिरुद्ध नांदल ने सब जूनियर नेशनल तैराकी प्रतियोगिता में 50 मीटर ब्रेस्ट में रजत पदक जीता है। यह प्रतियोगिता 24 से 26 जून को गुजरात के राजकोट में हुई। अनिरुद्ध नांदल बताते हैं  कि उन्हें स्वीमिंग पुल के पानी से डर लगता था। सोचता था कि पानी में उतरूंगा तो डूब जाऊंगा।

    वंश पान्नू को तैरते देखा तो डर काफूर हो। तैरने में आनंद आन लगा। नेशनल में पदक जीत कर उसका हौसला बढ़ा है। वह कोच की देखरख में अपनी तकनीक में सुधार कर रहा है। आगामी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिताओं में पदक जीतने के लिए तैयारी कर रहा हूं।

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