लोगों को उनके क्षेत्र के विकास के लिए प्रशासन द्वारा आश्वासन दिया जाता है लेकिन बहुत बार प्रशासन इन आश्वासन को पूरा करने में असमर्थ होते हैं यही हाल रानी की छतरी स्थान पर देखने को मिला। प्रशासन ने यहाँ के लोगों को भी रानी की छतरी और शाही तालाब सुंदर दिखने का आश्वासन दिया लेकिन अभी तक कुछ भी ऐसा नहीं हुआ।
आपको बता दें कि वर्ष 2019 में यहां के लोगों को आश्वासन दिया गया था कि रानी की छतरी और शाही तालाब काफी सुंदर दिखेगा, पर आज भी यह कल्पना ही लगता है। ये दोनों ऐतिहासिक स्थल की सूरत अब तक पूरी तरह नहीं बदली। यह सपना डेढ़ साल में पूरा होना था, लेकिन 3 वर्ष बीत गए और अब तक यह काम पूरा नहीं हुआ।
आपको बता दें शाही तालाब में राजस्थान का लाल पत्थर लगाया गया है। तालाब में जाने वाली सीढ़ियों पर भी तीनों ओर पत्थर लगाकर पुराना लुक दिया गया है। इसी प्रकार तालाब में पानी निकासी के लिए अलग से एक मोटर लगाई गई है। इसके अलावा तालाब में सुरक्षा की दृष्टि से स्टील की फ़ैसी ग्रिल लगाई गई है। छतरी के तीन मुख्य स्थानों पर लाइट भी लगाई गई है।
“रानी की छतरी और शाही तालाय की मरम्मत का काम पर करीब 1 करोड़ 77 लाख रुपये की लागत का अनुमान है। 29 जुलाई 2019 को स्थानीय विधायक मूलचंद शर्मा ने काम का शिलान्यास किया था। जीर्णोद्धार करने वाली संस्था का दावा है कि छतरी व शाही का काम पूरा 2 माह में पूरा हो जाएगा। बताया गया है कि एनजीटी के आदेशों से निर्माण पर रोक और कोरोना की पाबंदियों के कारण यह काम 3 साल में पूरा नहीं हुआ है।
इसके अलावा रानी की छतरी के आसपास हो रहे 14 अवैध कब्जों को भी हटाने में बाधा बनी रही। अदालती आदेशों के कारण कब्जे देरी से हटाए गए। सभी प्रकार की बाधाएं हटने के बद शाही तालाब व रानी की छतरी को दौसा राजस्थान के कारीगर आखिरी टच देने में लगे हुए हैं। इसी कारण दावा किया जा रहा है कि 2 माह तक अवश्य रानी की छतरी व शाही तालाब को नया रूप देकर शहरवासियों के सुपुर्द कर दिया