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अनाथ बच्चों के लिए हरियाणा की इन दो बच्चियों ने शुरू की अनूठी पहल, ऐसे कर रहीं समाज को प्रेरित

पहले लोग बेटियों को बोझ मानते थे, उन्हें परंपराओं की बेड़ियों में बांध दिया जाता था और जिंदगी भर उन्हें इसी बेड़ी में रहने को मजबूर होना पड़ता था। लेकिन आज की बेटियां मजबूर नहीं (encourage people to donate) मजबूत हैं। आज बेटियां इतनी काबिल हैं कि वह देश तक चला सकती हैं, अपने दम पर बड़े-बड़े फैसले ले (These two sisters Collecting donations for orphans and helpless children) सकती हैं। अब बेटियां माता-पिता और परिवार के लिए बोझ नहीं हैं और यह कहावत हरियाणा की इन दो बेटियों ने साबित की है।

हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली 9वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली दो सगी बहनों ने अनाथ और असहाय बच्चों के लिए बहुत ही नेक कदम उठाया है। दोनों बहनों ने अपनी पुरानी किताबों की स्टॉल लगाकर लोगों को डोनेशन देने के लिए प्रोत्साहित कर रहीं हैं।

सोनीपत की रहने वाली यह दोनों सगी बहने लायशा और कायना हैं। दोनों ऊटी के शेफर्ड स्कूल की छात्राएं हैं, जो करीब पिछले 3 सप्ताह से सोनीपत के बहालगढ़ रोड पर स्थित गुलिया पेट्रोल पंप पर अपनी पुरानी किताबों को लेकर एक स्टाॅल लगा रही हैं और अनाथ व असहाय बच्चों के लिए डोनेशन इकट्ठा कर रही हैं।

अनाथ और असहाय बच्चों के लिए जुटा रही हैं फंड

बहनों की इस अनूठी पहल की चर्चा सोनीपत ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा में है। पेट्रोल पंप पर यह दोनों बेटियां आने वाले वाहन चालकों को पढ़ाई से वंचित अनाथ और असहाय बच्चों के लिए डोनेशन देने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। जो लोग बच्चों से किताबें नहीं खरीद रहे हैं वह उनको डोनेशन देकर जा रहे हैं। वहीं बच्चियां अपने आस-पड़ोस के बच्चों को भी इस तरह के नेक काम के लिए प्रेरित कर रही हैं।

माता-पिता से मिली प्रेरणा

लायशा और कायना ने बताया कि वह अनाथ और असहाय बच्चों के लिए डोनेशन इकट्ठा करने के लिए इस तरह का कदम उठा रही हैं और उन्हें यह प्रेरणा अपने माता-पिता से मिली है। क्योंकि उनके माता-पिता सेफ इंडिया फाउंडेशन से जुड़े हैं, जोकि समाज में अच्छे कामों के लिए बनी है। यह फाउंडेशन बच्चों की पढ़ाई के लिए काम करती है।

अन्य बच्चों से भी की अपील

बहनों ने बताया कि वह अपने माता-पिता के दोस्तों और अपने परिवार और आस-पड़ोस से भी किताबें लाकर यहां पर रख रही हैं। ताकि वाहन चालक आएं और किताब लेकर उन्हें डोनेशन दें। अगर कोई वाहन चालक किताब नहीं लेकर जाता तो वह डोनेशन देकर जाता हैं।

वहीं दोनों बच्चियों के माता पिता ने उनके इस कदम को सराहा है और उन्हें अनाथ और पढ़ाई से वंचित रहने वाले बच्चों के लिए इस तरह का कदम उठा रहे हैं जोकि सराहनीय है। वह अन्य बच्चों से भी यही अपील करते हैं कि वे लोग इस तरह के कार्य जरूर करें।

Rajni Thakar

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