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शुरू हुआ प्रोजेक्ट “आरोग्य”, घर-घर जाकर छात्र कर रहे हैं महिलाओं को प्रेरित

आज के समय में भी बहुत सी ऐसी महिलाएं है जिन्हें महावारी (Menstrual) के बारे में तो पता है लेकिन वे इस दौरान कैसे अपने शरीर की साफ सफाई करें? कैसे खुद को स्वच्छ रखें? इसके बारे में अधिक नहीं पता। आज भी ऐसी बहुत से महिलाएं हैं जो तो इस दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में महिलाओं को जागरूक करना बेहद ही जरूरी है क्योंकि इससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। CDF-SRCC एक ऐसी संस्था है जिसे छात्रों द्वारा चलाया जाता है। यह एक सोशल एंटरप्रेन्योरशिप संगठन है जो समाज के वंचित वर्गों के सशक्तिकरण की दिशा में काम करता है।

CDF-SRCC के तहत ऐसी ही एक परियोजना है जिसका नाम आरोग्य (Aarogya) है और इस प्रोजेक्ट का दोहरा मकसद है। जिसमें पहला अनुचित महावारी स्वच्छता (improper menstrual hygiene) के मुद्दे को जनता तक पहुंचाना और इसी दिशा में महिला उद्यमियों (Women Entrepreneur) का निर्माण करना।

आरोग्य (Aarogya) के अंतर्गत 3 A’s को शामिल किया गया है। जिसमें जागरूकता (Awareness), पहुंच (Accessibility) और सामर्थ्य (Affordability) है।

जागरूकता (Awareness): यह लोग समुदाय और हेल्थ कैंप, नुक्कड़ नाटकों, प्रिंट मीडिया और व्यक्तिगत बातचीत के जरिए समुदाय को बुनियादी स्वच्छता प्रथाओं से अवगत कराते हैं।

पहुंच (Accessibility): इसके तहत महिला उद्यमी समुदायों को सैनिटरी नैपकिन घर-घर जाकर महिलाओं को देती हैं। ताकि उन्हें यह चीजे उनके दरवाजे पर आसानी से उपलब्ध कराती हैं।

सामर्थ्य (Affordability): संस्था से जुड़ी महिला उद्यमियों के माध्यम से कम कीमत पर वंचितों को अच्छी गुणवत्ता वाले सेमी-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन प्रदान करते हैं।

अपने इस नेक प्रयास से इन्होंने अब तक लगभग 39 क्षेत्रों को प्रभावित किया है। इन्होंने अब तक 3 लाख 15 हजार से ज्यादा पैड बेचे हैं, साथ ही 190 से अधिक जागरूकता सत्र (Awareness Sessios) भी आयोजित किए हैं। अपने इस अभियान से संगठन ने 65 हजार से ज्यादा लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, उन्हें नई राह दिखाई है।

सेल्फ सस्टेनेबल मॉडल (self sustainable model) ही एक ऐसी चीज है जो इस संस्था की पहल को सबसे अलग करती है और यह सामाजिक प्रभाव (Social Impact) भी प्रदान करता है। संस्था द्वारा तैयार की गईं इन महिलाओं में कुछ अलग करने का जुनून है। इन महिलाओं की भावना लोहे से भी ज्यादा मजबूत है।

पैड की प्रोमोशन से लेकर उसे बेचना और लोगों के बीच जाकर इसकी मांग बढ़ाना आदि का कार्य इन महिलाओं ने अपने कंधो पर ले रखा है। आरोग्य के माध्यम से लोगों के बीच जाकर जागरूकता फैलाना ताकि अधिक से अधिक क्षेत्र और लोग इससे जुड़ें। इनका मुख्य उद्देश्य समाज के वंचित वर्ग की महिलाओं को जागरूक करना है।

Rajni Thakar

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