स्ट्रॉबेरी तो हर किसी को पसंद होती है। इसका खट्टा मीठा स्वाद लोगों को खूब पसंद आता है। इसे उगाने में बहुत ही मेहनत लगती है और आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे जो स्ट्रॉबेरी की खेती का बहुत बाद क्लस्टर बन गया है। स्ट्राबेरी की खेती ज्यादातर पहाड़ी और ठंडे इलाकों में की जाती है। लेकिन यह एक ऐसा गांव है जहां उसकी खेती गर्म जगह में होती है। यह गांव हिसार से करीब 28 किमी दूर राजस्थान बॉर्डर पर स्थित है। हैरानी वाली बात तो यह है कि गांव के किसान गर्म इलाके में भी स्ट्रॉबेरी उगा रहे हैं और गर्म इलाके की यह स्ट्रॉबेरी पूरे देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी धाक जमा चुकी है। हर साल इस गांव से करीब 10 करोड़ रुपए का व्यापार होता है।
स्याहड़वां गांव के उन्नत किसान सुरेंद्र करीब 20 साल से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। शुरुआत में इन्होंने दो एकड़ से यह खेती शुरू की थी जो अब आठ एकड़ तक पहुंच चुकी है। सुरेंद्र स्ट्रॉबेरी की कई वैरायटी की खेती करते हैं। ज्यादातर नस्ल के मदर प्लांट दूसरे देशों से मंगवाए जाते हैं।

गर्म क्षेत्र माने जाने वाले हिसार में स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है। दरअसल ठंडे इलाकों के मुकाबले यहां करीब एक महीने तक इस फसल की खास देखभाल की जरूरत होती है। फसल को उगाने में आने वाली दिक्कतों के समाधान के बारे में सुरेंद्र ने बताया कि हिसार भी ठंडा इलाका है।

सर्दियों में कभी-कभी यहां तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस चला जाता है। स्ट्रॉबेरी का प्लांट सितंबर में तैयार किया जाता है। इस दौरान यहां मौसम बेहद गर्म होता है। इस वजह से एक महीने तक स्ट्रॉबेरी के प्लांट को माइक्रो क्लाइमेट के जरिए जिंदा रखा जाता है। इस समय पौधे के चारों ओर पानी के स्प्रिंकलर चलते रहते हैं।

स्प्रिंकलर की वजह से उसके चारों ओर माइक्रोक्लाइमेट बन जाता है। इससे तापमान सामान्य से कम रहता है। इससे पौधा सही ग्रोथ करता है। नवंबर में मौसम के अनुकूल होते ही स्प्रिंकलर बंद कर दिए जाते हैं। सुरेंद्र ने बताया कि नवंबर आते ही यहां सर्दी शुरू हो जाती है। उसके बाद स्ट्रॉबेरी के पौधे के लिए मौसम सही हो जाता है।

नवंबर में चिलिंग आवर मेंटेन करने के बाद फ्लावर आने शुरू हो जाते हैं। दिसंबर में स्ट्रॉबरी लगनी शुरू हो जाती है। उसके बाद फरवरी तक सही फसल मिलती है। मार्च की तरफ जाते जाते धीरे धीरे कम हो जाती है। लास्ट 15 मार्च तक ही स्ट्रॉबेरी की फसल होती है।
प्रति एकड़ आती है 5 लाख रुपये लागत

सुरेंद्र ने बताया कि प्रति एकड़ स्ट्रॉबरी की फसल उगाने में करीब पांच लाख तक खर्चा होता है। एक एकड़ में करीब चौबीस स्ट्रौबरी के पौधे लगाए जाते हैं। औसत प्रति एकड़ 10 टन स्ट्रॉबेरी की फसल पैदा होती है।
सुरेंद्र ने बताया कि अगर स्ट्राबेरी के अच्छे पौधे हो और मौसम साफ दे तो एक किसान 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक प्रति एकड़ कमा सकता है। उन्होंने कहा कि फसल से मुनाफा कमाने का खेल सिर्फ और सिर्फ पैकेजिंग और मार्केटिंग का है।

सुरेंद्र का कहना है कि मैं करीब 8 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती करता हूं। औसतन दो से ढाई लाख रुपए तक प्रति एकड़ मुनाफा कमाता हूं। हमारे यहां कोलकाता मुंबई जैसे बड़े बड़े शहरों से व्यापारी खरीदने के लिए आते हैं। अधिकतर किसानों की फसल खेत में ही बिक जाती है।

इसके अलावा अच्छा दाम लेने के लिए मंडी की और भी कई किसान जाते हैं। मैं खुद सुपरमार्केट्स में अपना माल भेजता हूं। इसके अलावा रिलायंस बिग बाजार जैसी बड़ी बड़ी कंपनियों को सप्लाई देकर डायरेक्ट मार्केटिंग के जरिए अच्छा मुनाफा ले रहा हूं।