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    बुढ़ापे में बच्चों ने छोड़ा साथ तो सड़क पर पेंटिंग्स बेचकर कर रहे है गुजारा, जानिए बेसहारा पिता की कहानी

    हमारे देश में बड़ों का सम्मान, आदर, सत्कार किया जाता है। लेकिन बहुत सी खबरें इसके बिल्कुल उलट आती हैं, इसलिए कुछ जानकारी हम साझा कर रहे हैं और साथ ही एक बुज़ुर्ग पिता की पीढ़ा भी।

    दरअसल इसे सौभाग्य माना जा सकता है कि हमारे देश में लोगों की जीवन अवधि बढ़ी है। 2011 के आबादी के आंकड़े बताते हैं कि देश में बुजुर्गों की आबादी 10 करोड़ से अधिक हो चुकी है।

    लेकिन इनकी आबादी बढ़ने से एक नई समस्या खड़ी हो गई है। युवा पीढ़ी तो इनका ध्यान नहीं रख पा रही है और ना ही इनका इतना आदर कर पा रही है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें बुजुर्गों से मार-पीट, प्रताड़ना और यहां तक कि उनकी हत्या भी की गई है। कुछ समय पहले की ही बात है।

    50 साल के एक प्रौढ़ ने अपनी मां की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि वह उनका चिकित्सा खर्च वहन नहीं कर पा रहा था। भारत सरकार ने बुजुर्गों की सुरक्षा को देखते हुए मैंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन्स एक्ट 2007 (माता-पिता वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख एवं कल्याण अधिनियम 2007) लागू किया।

    बुजुर्ग या वरिष्ठ नागरिक आत्मसम्मान एवं शांति से जीवनयापन कर सकें, इसी के लिए यह कानून बनाया गया है। यह कानून बच्चों और परिजनों पर कानूनी जिम्मेदारी डालता है, ताकि वे अपने माता-पिता और बुजुर्गों को सम्मानजनक तरीके से सामान्य जीवन बसर करने दें।

    इसमें राज्य सरकारों को हर जिले में वृद्धाश्रम खोलने को कहा गया है। इस कानून का मकसद है, पालकों और वरिष्ठ नागरिकों की देख-रेख और कल्याण प्रभावी तरह से हो सके, जैसा कि संविधान में बताया गया है।

    लेकिन अब भी कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जिन्हें सुन और देखकर मन में पीढ़ा भी होती है कि आखिर ऐसा क्यों करते हैं बच्चे, अपने बुज़ुर्गों के साथ। चलिए ह्रदय विदारक एक मामला एक पिता से जुड़ा आपको बताते हैं।

    एक भावुक करने वाली कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। जहां एक बुजुर्ग पिता को उसके बच्चों ने बेसहारा करते हुए घर से निकाल दिया और अब वो पिता अपनी दो वक्त की रोटी के लिए सड़क किनारे पेंटिंग्स बेचता है।

    लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के इस दौर में एक समय की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है।दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया पर कोलकाता के रहने वाले सुनील पाल की एक भावुक कहानी वायरल हो रही है।

    जिसमें उन्हें उनके बच्चों ने इस उम्र में घर से बाहर निकाल कर दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर कर दिया है। आपको बता दें कि, सुनील पाल को पेंटिंग्स बनाने का बहुत शौक है। इसीलिए उन्होंने इस बेसहारा हालात में खूद की दो वक्त की रोटी के लिए पेंटिंग्स बेचना शुरू कर दिया है।

    जिसे वो 50-100 रुपये में बेचते हैं। इस बात की जानकारी एक ट्विटर यूजर ने 24 मई को अपने ट्विटर अकांउट पर शेयर की थी। इसमें उस यूजर्स ने लिखा था, आर्टिस्ट सुनील पाल कोलकाता के गोल पार्क स्थित एक्सिस बैंक के सामने अपनी अद्भुत कलाकृतियों के साथ बैठते हैं, उनके बच्चों ने उन्हें छोड़ दिया है।

    इसलिए वो जीवनयापन के लिए पेंटिंग्स बना उन्हें 50-100 रुपये में बेचते हैं, इन दिनों रोटी कमाना मुश्किल हो गया है। अगर आप कोलकाता में हैं तो कृपया उनकी पेंटिग्स ज़रूर खरीदें।

    अब इस पोस्ट को देखने के बाद बहुत से लोग ऐसे हैं जो इस बुज़ुर्ग की मदद करने के लिए वहां जा रहे हैं, और कुछ लोग इस बुज़ुर्ग की पेंटिंग भी खरीद रहे हैं। कुल मिलाकर इस बुज़र्ग की मदद के लिए लोग दिल खोलकर सामने आ रहे हैं।

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