हर कोई ज़्यादा से ज़्यादा जीना चाहता है। हर किसी को एक लंबी ज़िंदगी की चाह होती है। जब आप किसी जापानी मूल के व्यक्ति से मिलते हैं, तो उनमें सबसे पहली बात आप ये नोटिस करते हैं कि वे कितने शालीन और विनम्र हैं। वहां के लोग फिजिकली तौर पर तो सुंदर दिखते ही हैं, इसके साथ ही वे डेली रुटीन में भी शिष्टाचार का पालन करने वाले होते हैं या कहें वे अनुशासनप्रिय हैं।
वह बस एक ही चीज का पालन करते हैं जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल, सीज़ा एक जापानी पारंपरिक फर्श पर बैठने की शैली है, जिसमें दोनों पैरों को लगभग 180 डिग्री के कोण पर मोड़कर बैठा जाता है। यहां आप दूसरे देशों से आए खास मेहमानों को भी इस आसन में बैठकर भोजन परोसा जाता है।

कई लोगों ने इसे कारगर माना है। उन्हें लगता है कि इससे उनका काम बना है। हालांकि, सीज़ा पोज में बैठना हम लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल, असहज और दर्दनाक हो सकता है, लेकिन इसके कई फायदे हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जैसा हम आापको पहले ही बता चुके हैं कि ये मेडिटेशन करने के लिए एक शानदार पॉस्चर है। माना जाता है कि क्लासिक जापानी कल्चर में इस मुद्रा अभ्यास के जरिए मन शांत रहता है और हमारी फोकस करने की शक्ति का विकास होता है।

जिस तरह से भारत में कई प्राचीन बातें मिलती हैं ठीक उसी तरह माना जाता है कि प्राचीन जापानी मानकों के आधार पर सीज़ा मुद्रा में बैठने का एक औपचारिक यानी फॉर्मल है। जापानी भाषा में सीजा का अनुवाद ‘सही मुद्रा के साथ बैठना’ के रूप में किया जाता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि प्राचीन जापान में लोगों को इस पोज की प्रैक्टिस किए बगैर औपचारिक समारोहों (चाय समारोह और पारंपरिक जापानी प्रदर्शन) में हिस्सा लेने की अनूभति नहीं है।

आप भी इस तरह से बैठने की कोशिश कर सकते हैं। यह काफी उपयोगी मानी जाती है। यह पोज जापानी संस्कृति के दो मूल्यों ‘शिष्टाचार और क्षमा’ का प्रतिनिधित्व करता है। जापानी मानते हैं कि उन विशिष्ट मूल्यों को प्रसारित करने के लिए सीजा पोज में बैठना जरूरी है।