क्या ख़ूब कहा है, कि बाकी सब सपने होते हैं, अपने तो अपने होते हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि तलाक के बाद पति-पत्नी तो अलग हो जाते हैं। लेकिन इस दौरान बच्चों से खुद को दूर करना आसान नहीं है।
पति-पत्नी का रिश्ता तो कागज के एक पन्ने पर सिमटकर रह जाता है। लेकिन अपने बच्चों के खातिर वह कभी भी मां-बाप का रिश्ता निभाने से भी पीछे नहीं रहते हैं। हालांकि, विदेशों में तलाकशुदा जोड़ों का मतलब टूटे हुए परिवार से बिल्कुल नहीं है।

लेकिन जब बात आती है हमारे देश यानी भारत की तो यहां कपल्स का अलग होना या तलाक लेना एक टूटे रिश्ते की पहचान है, जिसका सबसे ज्यादा असर उनके बच्चों पर पड़ता है।
बॉलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान भी उन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने न कम उम्र में पैरेंट्स को अलग होते हुए देखा बल्कि इस बात का खुलासा भी किया दोनों को एक साथ देख उन्हें कितना अच्छा लगता है।

बता दे सारा अली खान अपने प्रोफेशनल लाइफ के साथ साथ अपने पर्सनल लाइफ को लेकर भी खूब सुर्ख़ियों में बनी रहती है और वही सारा अली खान का अपने पिता सैफ अली खान और स्टेप मदर करीना कपूर के साथ भी काफी अच्छा रिश्ता है
और करीना के साथ सारा काफी अच्छी बोन्डिंग शेयर करती है और कई बार सारा ने अपने और अपनी सौतेली माँ करीना के रिश्ते के बारे में भी खुलकर बात कर चुकी है।

वही सारा से एक इंटरव्यू में पूछा गया था की वो अपनी माँ अमृता के साथ ही क्यों रहती है अपने पिता सैफ के साथ उनके घर पर क्यों नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि मेरे माता पिता की शादी सफल नहीं हो पाई थी और मेरी माँ ने ही मुझे बचपन पाला था।
और वही इब्राहीम के जन्म के बाद हमारी माँ ने हम दोनों की परवरिश करने के लिए अपने अच्छे खासे करियर तक को दांव पर लगा दिया था। उन्होंने अकेले ही अपने दम पर हमारी परवरिश की और इसमें उन्होंने कोई भी कसर नहीं छोड़ी थी।

और सारा ने कहा जिस घर में मेरे माता पिता एक साथ खुश नहीं रह सकते उस घर में मैं कैसे खुश रह सकती हूँ ,आगे सारा ने कहा की एक घर में नाखुश माता-पिता के रहने से अच्छा है कि अलग घर में खुश माता-पिता रहे और सारा ने कहा आज मुझे किसी चीज की कमी नहीं है और जब भी हम अपने पापा से मिलते है तब वो भी बेहद खुश होते है।
बात भी सही है, क्योंकि माँ-बाप की तकदीर से ही बच्चों की तस्वीर जुड़ी होती है, और अगर ये दोनों ही साथ ना हों तो, फर्क तो पड़ता ही है, लेकिन, फ़िल्म इंडस्ट्री में ये बात तो आम होती है कि कौन कब किस्से शादी करले, कितनी शादियां कर ले, यहां कम से कम मरना, मारना नहीं होता, जैसा अक्सर आम जिंदगियों में होता है।

फिल्मों में किरदार निभाते-निभाते ये सभी इन चीजों के आदि हो जाते हैं, इसलिए इन्हें रिश्तों का ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता, सिर्फ करियर को लेकर ये चिंता में होते हैं।