खेती-बाड़ी पर आज भी हमारे देश की अधिकतम जनसंख्या निर्भर है। किसान नहीं होगा तो खाना भी नहीं होगा। खेती-बाड़ी कर के किसान आज-कल अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसी ही कहानी है इनकी, गुजरात के बनास कांठा जिले की दांतीवाड़ा तहसील में चार हजार से अधिक आबादी का एक गांव है डांगिया। यहां के पार्थीभाई जेठाभाई चौधरी वो रिटायर पुलिसवाले हैं, जिनके लिए आलू ‘सोना’ बना हुआ है।
किसान कई तरीके अपनाते हैं अपनी फसल को उगाने के लिए। लेकिन जब यह खेत पर जाते हैं तो आलू नहीं सोना उगाकर आते हैं। यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि पार्थीभाई की मेहनत और लीक से हटकर खेती करने की सोच का नतीजा है। पार्थीभाई आलू उत्पादन के मामले में देश के बड़े किसानों में से एक हैं।

पिछले कुछ सालों में कई लोगों का रुझान खेती की तरफ बढ़ा है। एक यही क्षेत्र था महामारी के दौरान जिसे कम घाटा हुआ था या कहें बस मुनाफा हुआ था। आज यह गुजरात में आलू की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान हैं। इससे पहले वर्ष 1981 में पार्थी भाई गुजरात पुलिस में एसआई पद पर भर्ती हुए थे। वर्ष 2015 में मेहसाणा एसीबी में डीएसपी पद से रिटायर हुए हैं।

खेती – बाड़ी की तरफ एक बार फिरसे सभी का रुझान होने लगा है। देशभर में किसानों की बचत में अब इज़ाफ़ा होने लगा है। मुनाफा अच्छा होने लगा है। ऐसे ही पार्थीभाई के मन में लीक से हटकर खेती करने का विचार आया। प्रगतिशील किसानों के खेतों पर जाकर उनसे आधुनिक खेती के गुर सीखने लगे। फिर आलू की खेती पर आकर तलाश पूरी हुई।
जिसने भी जरा सा हटकर काम किया, उसको सफलता जरूरी मिली। यह बात एकदम सही है। उन्होंने खुद की पांच एकड़ जमीन पर आलू की खेती करना शुरू किया। फिर आस-पास की जमीन भी खरीदते गए। वर्तमान में ये 87 एकड़ में आलू की खेती कर रहे हैं। अब तो देश के विभिन्न हिस्सों से किसान आलू की खेती की तकनीक जानने के लिए इनके खेत पर आते रहते हैं।

जिस काम में आप संतोष प्राप्त करें हमेशा वही करना चाहिए। इन्हे खेती से काफी संतोष मिलता है। किसानों के लिए सरकार भी तत्परता से काम कर रही है। उनकी कमाई दोगुनी हो सके इसके प्रयास भी किये जा रहे हैं।