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कॉल सेंटर पर काम करने वाले इस लड़के ने रचा इतिहास, अपनी मेहनत के बल पर बना IAS अफसर

हर साल लाखों छात्र ‘सिविल सेवा’ की परीक्षा देते हैं। ताकि वह भारत सरकार में ‘आईएएस’, ‘आईपीएस’, ‘आईएफएस’ अधिकारी बन सकें। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं है। सूरज सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी है, एक वक्त था जब आर्थिक तंगी के कारण वह कॉल सेंटर में नौकरी करने को विवश हुए, लेकिन आज वो एक आईपीएस अफसर हैं। साथ ही उन युवाओं की प्रेरणा भी, जो जमीन से उठकर इस मुकाम को पाने का ख्वाब देखते हैं।

सूरज सिंह ने 5वीं तक की पढ़ाई उत्तर प्रदेश के जौनपुर से की है। इस दौरान वो अपने दादा-दादी के साथ रहते थे। दादा उन्हें महापुरुषों की कहानियां सुनाते थे, जिन्हें सुनकर उन्हें देश सेवा और लोगों के लिए कुछ खास करने की प्रेरणा मिली।

हालांकि, 5वीं के बाद वो माता-पिता के साथ कानपुर के जाजमऊ उपनगर चले गए और एक हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ने लगे। सूरज पढ़ाई से कहीं ज्यादा खेल-कूद और क्रिएटिव राइटिंग में माहिर थे। साल 2000 में, उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर नारायणन के हाथों क्रिएटिव राइटिंग और कविता के क्षेत्र में ‘राष्ट्रीय बाल श्री पुरस्कार’ भी जीता था।

साल 2001 में यूपी बोर्ड की कक्षा 12 में उन्हें 81 प्रतिशत अंक मिले। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति उन्हें अच्छे कॉलेज से रेगुलर पढ़ने की इजाजत नहीं दे रही थी। उनकी जॉइंट फैमिली थी, जिसमें उनके पिता ही कमाने वाले थे। ऐसे में सूरज घरेलू आय में सहयोग करना चाहते थे।

उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ अपने दोस्त के साथ किराए के एक कमरे में अंग्रेजी सिखाने का कोचिंग सेंटर खोला लिया। कुछ समय बाद मकान मालिक से विवाद के कारण उन्हें यह सेंटर बंद करना पड़ा।

इस दौरान सूरज ने अपनी अंग्रेजी को भी काफी सुधारा। सूरज सिंह ने यूपीएससी के लिए साल 2011 में पहला प्रयास किया, जिसमें वो असफल रहे। इस दौरान वह SBI में कार्यरत थे। इस परीक्षा में वो साक्षात्कार तक पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने साल 2012 में दूसरी बार परीक्षा दी, लेकिन मेन्स एग्जाम में ही रह गए।

अपने तीसरे और आखिरी प्रयास में, उन्होंने परीक्षा पास कर ली और उन्हें ‘भारतीय राजस्व सेवा’ मिला। लेकिन वो आईपीएस बनना चाहते थे।इसी दौरान, सरकार ने परीक्षा देने की सीमा को 5 बार कर दिया और उम्र सीमा में भी दो साल बढ़ा दिए। फिर सूरज को परीक्षा फिर सूरज को परीक्षा के दो मौके और मिल गए।

उन्होंने चौथी बार यूपीएससी की परीक्षा दी और AIR 189 प्राप्त की। सूरज 30 साल की उम्र में IPS अधिकारी बन गए। कुल मिलाकर ज़िंदगी जीने के 2 तरीके होते हैं, पहला, जो पसंद हो उसे हासिल करना सीख लो, दूसरा, जो हासिल हो उसे पसंद करना सीख लो। और ऐसा ही कर दिखाया सूरज ने, उन्हें जो पसंद था वही हासिल कर लिया।

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