आपकी सफलता में जो रुकावट आती हैं उनसे लड़ना कभी हार न मानना आपकी दृढ इच्छाशक्ति से संभव हो सकता है। आप कहां से आते हैं यह बात ज़रा भी मायने नहीं रखती है। यूपीएससी की परीक्षा का सफर हर किसी का अलग-अलग होता है। लेकिन सभी कैंडिडेट्स के बीच एक चीज बिल्कुल एक समान होती है और वो है कड़ी मेहनत।
यूपीएससी की परीक्षा पास करना हर किसी का सपना होता है। युवाओं का यह सपना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन नामुमकिन नहीं। इस परीक्षा को पास करने के लिये आपको लगातार पढ़ने और सही रणनीति से तैयारी करने की आवश्यकता होती है। लेकिन आज हम आपको जिस कैंडिडेट की कहानी बताने जा रहे हैं, सच में वह प्रेरणादायक है।

यूपीएससी की परीक्षा सभी पास करना चाहते हैं। संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा को पास कर आईएएस-आईपीएस या अफसर बनने का सपना हर कोई देखता है। दिलीप कुमार दो बार साक्षात्कार तक पहुंचे। लेकिन उनके नंबर काफी कम आए। ऐसे में उन्होंने अपनी खामियों को दूर करते हुए तीसरे प्रयास में बेहतर योजना बनाई। इस बार उन्होंने इंटरव्यू अंग्रेजी की जगह हिंदी भाषा में देने का फैसला किया। उनकी सफलता रंग लाई और साल 2019 में दिलीप कुमार ने यूपीएससी परीक्षा में 73वीं रैंक हासिल की और अपने आईएएस बनने के सपने को साकार किया।

इस परीक्षा में किसी का भी ये बोलना काफी कठिन है कि आप कितने प्रयासों में यहां सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यूपीएससी में सफल कैंडिडेट्स की कहानियां अक्सर आपने सुनी होंगी। यह कहानियां नई ऊर्जा भर देती है। दिलीप कहते हैं कि इंटरव्यू के दौरान आप किस भाषा का प्रयोग करते हैं इस बात से अंकों पर कोई असर नहीं होता है। आप जिस भाषा में खुद को सहज महसूस करते हैं उस भाषा में इंटरव्यू दें। इंटरव्यू में आपका सटीक उत्तर महत्व रखता है न कि भाषा। आप इंटरव्यू के बीच में अंग्रेजी के कुछ शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं।

यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिये सभी दम लगाकर मेहनत करते हैं। हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। दिलीप की स्कूलिंग हिंदी मीडियम स्कूल में हुई। वह हिंदी भाषा में खुद को अच्छे से जाहिर कर लेते थे। इस कारण उन्होंने पिछली गलतियों से सीखते हुए तीसरी बार में इंटरव्यू के दौरान हिंदी का चयन किया।