दुनियाभर में तबाही मचाने वाली महामारी का कांवड़ यात्रा पर भी पड़ेगा। श्रद्धालु बेसब्री से कावड़ यात्रा का इंतज़ार करते हैं लेकिन महामारी ने उस इंतज़ार पर ग्रहण लगा दिया है। कांवड़ यात्रा पर फिलहाल प्रतिबंध है। ऐसे में जो भी कांवड़ लेकर हरिद्वार आएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। उस पर मुकदमा दर्ज करने के साथ 14 दिन के लिए क्वारंटीन भी किया जा सकता है।
कई राज्यों से कावड़ यात्रा लेकर श्रद्धालु हरिद्वार महाकाल के लिए पहुँचते हैं। इनमें हरियाणा, दिल्ली और यूपी प्रमुख है। 22 जुलाई से ही हरिद्वार की सीमाओं को कांवड़ियों के लिए सील कर दिया जाएगा। 10 टीमों का गठन कर दिया गया है।

कांवड यात्रा पर इस बार भी रोक हो सकती है। उत्तराखंड सरकार ने बाकी प्रदेश सरकारों और कांवड़ संघों और संत-महात्माओं से भी कानूनों का पालन करने को कहा है। हरिद्वार पुलिस मुख्यालय में कांवड़ यात्रा जो की 23 जुलाई से छह अगस्त तक है। इस पर चर्चा के लिए तरराज्यीय समन्वय बैठक बुलाई गई थी। इसमें सात राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब) के 36 पुलिस व इंटेलीजेंस अधिकारियों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन भाग लिया।

महामारी की मार सभी झेल रहे हैं। श्रद्धालुओं को उम्मीद थी कि इस साल महादेव के लिए कावड़ यात्रा निकालेंगे लेकिन ऐसा संभव होता नहीं दिखाई दे रहा है। हरिद्वार की सीमाओं को कांवड़ मेला शुरू होने से पहले ही 22 जुलाई से कांवड़ियों के लिए सीमाओं को सील कर दिया जाएगा। पहाड़ी जिलों में जाने के लिए लोगों को 72 घंटे भीतर की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। उसी के बाद लोगों को एंट्री दी जाएगी। कांवड़ मेले के लिए आ रहे लोगों की एंट्री नहीं होगी।

सबसे अधिक कांवड़िये उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आते हैं। इस दोनों ही राज्यों में महामारी के केस भले ही कम हुए हों लेकिन खतरा नहीं कम हुआ है। सजग और सतर्क रहने की ज़रूरत है न कि लापरवाह बनने की।