कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिखाई देते हैं। आपको बता दें, शायद अशोक के साथ भी ऐसा हुआ होगा। अशोक के माता पिता भी शायद यह बात उसके बचपन में ही कहते होंगे।
ऐसा ना हुआ होता तो आज अशोक ने न सिर्फ अपने परिवार का बल्कि पूरे देश का नाम रोशन नहीं किया होता। अशोक शायद बचपन से ही ऐसे रह होंगे।अगर एक युवा ठान ले तो कुछ भी कर सकता है।
अगर काबिलियत है तो काबिलियत किसी भी चीज की मोहताज नहीं होती है। आपके घर में कुछ हो ना हो संसाधन हो ना हो कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन आपकी काबिलियत है तो 1 दिन आपकी काबिलियत का लोहा दुनिया जरुर मानेगी और ऐसा ही अशोक ने करके दिखाया है।
दोस्तों आपको बता दें अशोक के पिता आटा चक्की चलाते हैं। और उसे चलाकर ही पूरे परिवार का भरण-पोषण करते हैं। और आपको यह भी बता दें कि अशोक के पिता के पास मात्र 1 एकड़ जमीन है।
इसी के साथ वह पूरे परिवार का पेट भरते हैं, और गरीबी में कुछ भी ज्यादा संसाधन ना होने की वजह से यह परिवार अपने आप को ऐसे ही आगे बढ़ाता रहा है, लेकिन इस परिवार का बेटा 1 दिन साइंटिस्ट बन जाएगा ऐसा शायद किसी ने सोचा भी ना होगा।
शायद अशोक के पिता ने भी ना सोचा होगा। जो अशोक ने कर दिखाया उससे पूरे परिवार का पूरे का पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। विस्तार से आपको पूरी जानकारी बताते हैं।
अशोक का परिवार क्या करता है, कैसे अशोक साइंटिस्ट बने हैं। बतादें हिसार जिले के गांव मुकलान में आटा चक्की की दूकान चलाने वाले के बेटे ने कारनामा कर दिखाया है।
जिसके लिए पूरे देश में तारीफ की जा रही है, जी हाँ, परिवार की मुश्किल हालातों के बावजूद यह युवा न्यूक्लियर साइंटिस्ट बन कर दिखा दिया है। गांव के अशोक कुमार का चयन भामा अटोमिक रिसर्च सेंटर के लिए हुआ है।
बता दें की अशोक ने मार्च में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर रिक्रूटमेंट की परीक्षा दी थी। अशोक की इस कामयाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कॉरपरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी स्कीम का योगदान है।
इस स्कीम के कारण वह अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर पाए है, उनकी पढ़ाई में उनके स्कूल के दिनों के गणित के एक शिक्षक का योगदान काफी ज्यादा रहा है इन्होने बताया की वह हमेशा याद रखेंगे।
परीक्षा के बाद दिसंबर 2020 में इंटरव्यू के बाद ओवरऑल रिजल्ट जारी किया गया। और सबसे अच्छी बात तो यह है की इसमें अशोक कुमार की रैंक आल इंडिया सेकंड आई, जो कोई मामूली बात नहीं है, 5 जनवरी को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की ओर से नतीजे घोषित किए गए हैं।
अशोक ने बताया कि पूरे देश से करीब 30 छात्रों का चयन हुआ है और इसमें उनका भी नाम है। तो इस तरह से इस गरीब परिवार के बेटे ने बहुत बड़ा काम किया है और देश का नाम रोशन कर दिया है।