महामारी से संक्रमित होने के बाद एक 18 वर्षीय आदिवासी युवा ने एक पेड़ पर अपने लिए ‘आइसोलेशन बेड’ बना लिया और 11 दिन तक उसी पर रहा। युवक का नाम रामावत शिवा नायक है और वह नालगोंडा जिले की एक आदिवासी बस्ती का रहने वाला है। उसने कहा, ‘हमारे पास और कोई रास्ता नहीं था। हमारा पांच लोगों का परिवार है और रहने के लिए एक कमरा। उनकी सुरक्षा के लिए मैंने पेड़ पर रहने का फैसला किया।’ कोरोना संक्रमित होने की बात पता चलने के बाद पहला दिन उसने अपने घर के बाहर खुले में गुजारा।
शिवा ने कहा, ‘जब में वहां था, तब मेरे दिमाग में पेड़ पर बिस्तर बनाने का विचार आया। मैंने बिस्तर को रस्सी की मदद से टहनियों से बांध दिया, जिससे वह गिरने न पाए।’ उसने बताया कि इस दौरान उसने अपना समय किताबें पढ़ते हुए और संगीत सुनते हुए व्यतीत किया। शिवा ने कहा कि नौवें दिन उसे बेहतर महसूस होने लगा था।

कोठानंदीकोंडाएक छोटी आदिवासी बस्ती है जो हैदराबाद से करीब 166 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां करीब 500 घर हैं और यहां का नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पांच किलोमीटर दूर है। शिवा ने बताया कि गांव के करीब 50 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और सुविधाओं के अभाव में कई लोगों को आइसोलेट होने में समस्या हुई है।

लेकिन लोग करें भी तो क्या करें, क्योंकि हमारा देश भारत है तो बहुत अमीर देश लेकिन यहाँ की जनता बहुत ग़रीब है, और यही यहां का सिस्टम भी है। यहां आज़ादी के 75 साल क्या 7500 साल भी क्यों ना बीत जाएं यहां फिर भी हालात बद से बदत्तर ही रहेंगे।

तो देखा आपने ऐसे हाल में हैं हमारे देश के भविष्य कहे जाने वाले युवा। फिर भी अपनी पूरी ज़िम्मेदारी से देश के प्रति काम और मेहनत पूरी लगन से करते हैं।