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Thursday, March 28, 2024
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    ऑटो टी राजा: जेल जाने के बाद डकैत बना संत, आज 11000 लोगों का सहारा

    आपके अंदर शैतान भी है, आपके अंदर भगवान भी, अब यह आपको चुनना है कि आप अपने अंदर किसे झांककर देखते हो। किसे महसूस करते हो, और किसे अपने जीवन को चलाने के लिए न्यौछावर कर देते हो।

    दोस्तों जिंदगी में बहुत से हालात ऐसे आते हैं कि हमें गलत रास्ते की प्रेरणा देते हैं, गलत जगह जाने की बात कहते हैं। हमारा मन-मस्तिष्क, दिल-दिमाग बदल जाता है। 

    इधर-उधर भटकना शुरू कर देता है, लेकिन उन हालातों को ना समझते हुए, उस परिस्थिति को ना समझते हुए, अपने विवेक का ध्यान रखते हुए, अपने विवेक से जीवन को आगे बढ़ाने का ख्याल रखते हुए, अगर हम आगे बढ़ते हैं, तो यकीन मानिए कभी हमसे गलत नहीं होता है।

    लेकिन जब हम अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हैं, यानी कुल मिलाकर दिल नहीं दिमाग से सोचते हैं, तो उस दरमियान हम भटक ही जाते हैं। और भटकने की कहानी हम आपको बताते हैं। 

    भगवान बुद्ध के बारे में आपको पूरी कहानी के बारे में पता होगा, लेकिन भगवान बुद्ध ने कैसे एक डाकू को जिसका नाम अंगुलिमाल डाकू था। उसे उपदेश देकर संत बना दिया।

    उसके बारे में आपने सुना होगा, लेकिन आज हम इस कलयुग में एक कहानी आपको ऐसी बताने और सुनाने जा रहे हैं, जो इस वक्त में ना तो भगवान बुद्ध हैं और ना ही यहां पर अंगुलिमाल डाकू है।

    लेकिन एक ऐसा बचपन से जीता जागता हुआ लड़का जो गलत रास्ते पर जाकर उसी रास्ते पर जाकर अपने आप को गलत बना चुका था। लेकिन अब वह सही रास्ते पर आकर लोगों के लिए मसीहा बन चुका है। 

    तो क्या पूरी कहानी है सुनिए, ‘टी राजा’ एक बच्चा जिसके पिता एक साधारण से टेलीफोन लाइनमैन थे. हर मां बाप की तरह इन्होंने भी बेटे को अच्छा बनाना चाहा लेकिन नियति ने ऐसा खेल रचा कि ये बच्चा कुछ उस तरह का बनने लगा जिसे समाज राक्षस कह कर बुलाता है।

    बचपन से ही इसे चोरी करना, शराब पीना और जुआ खेलने आदि जैसी बुरी आदतों ने घेर लिया। बढ़ती उम्र के साथ बुरी आदतें भी बढ़ने लगीं। अपने सहपाठियों के पैसे चुराया करता जिस वजह से एक दिन इसे स्कूल से निकाल दिया गया।

    माता पिता इसकी इन आदतों से परेशान रहने लगे और ये माता पिता के बार बार टोकने से परेशान होने लगा। आखिरकार एक दिन टी राजा ने घर छोड़ने का मन बना लिया और आ गया चेन्नई।

    इस बड़े शहर में ना इसे कोई पूछने वाला था ना संभलने वाला, दो साल तक ऐसे ही सड़कों को घर मान कर सोता रहा। यहां भी पेट पालने के राजा को चोरी डकैती जैसे रास्ते अपनाने पड़े और यही रास्ते इसे जेल तक ले गए।

    अब उसे एहसास हुआ कि वो जीवन में कर क्या रहा था, वो कहाँ आ चुका है। फिर उसने ईश्वर से प्रार्थना कर, सब कुछ बुरा काम छोड़ने की बात कही और प्रण लिया कि अगर वो जेल से सही-सलामत बाहर निकल जाता है तो वो अपना पूरा जीवन सादगी और ईमानदारी से बिताएगा।

    अब हुआ भी ऐसा ही, क्योंकि उसके अंदर के भगवान को वो पहचान चुका था। फिर वो जेल से बाहर आया, कुछ समय मेहनत की फिर परिवार के पास गया और शादी की, फिर एक ऑटो रिक्शा खरीदा और उसे चलाना शुरू कर दिया।

    इस तरह से नाम के आगे ऑटो लग गया। उसके बाद तो ऑटो टी राजा अपनी हैसियत के मुताबिक ज़रूरतमंद लोगों की ख़ूब मदद करने लगा और आज तक कर रहा है। इस तरह से वो अब लोगों के लिए मसीहा बन चुका है।

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