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Friday, March 29, 2024
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    प्लास्टिक के बेकार बोतल से पौधों में फूंकी नई जान, टीचर के इस जुगत से तेजी से बढ़ रहे हैं पौधे

    दोस्तों हम अक्सर प्लास्टिक की खाली बोतल को फैक देते हैं। चाहे वह कोल्ड ड्रिंक की बोतल हो, चाहे वह ऑयल की बोतल हो, चाहे किसी भी पदार्थ की बोतल हो।

    उसके भीतर भरे पदार्थ का इस्तेमाल करने के लिए आप अपने घर में उस बोतल को लाते हैं, और जैसे ही वह बोतल खाली होती है या तो आप उसे फेंक देते हैं या फिर आप उसे प्लास्टिक में बेच देते हैं।

    अगर वह बिकने वाली चीज नहीं है तो आप उसे डस्टबिन में डाल कर फेंक देते हैं। और वह बोतल पर्यावरण को दूषित करती है, गंदा करती है। क्योंकि वह प्लास्टिक की बोतल ना तो गलती है ना सड़ती है।

    बल्कि पर्यावरण को दूषित करती है, और अगर वह जमीन में दवाई जाए तो वो ज़मीन को भी खराब कर दे कर देती है। दोस्तों किस तरीके से हम इन खाली बोतल का इस्तेमाल कर सकते हैं सीधे जानते हैं।

    बतादें हमारे पास ऑप्शन नहीं कि हम इस चीज यानी खाली बोतल का हम करें क्या। पूरी तरीके से डिस्ट्रॉय करें कैसे।ताकि पर्यावरण दूषित ना हो और साथ ही साथ इसका इस्तेमाल हो जाए।दोस्तों इसको इस्तेमाल में कैसे लाएं उसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

    एक टीचर हैं जिन्होंने खाली प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल ऐसे बढ़ाया है, इसे देखकर हर कोई इसे अब ऐसे ही इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा। क्या आप जानते हैं कि बोतल के इस्तेमाल से कैसे पानी भी बचेगा और काम उसके माध्यम से करने पर बहुत ही बेहतरीन तरीके से होगा।

    एक टीचर ने कैसे खाली बोतल का इस्तेमाल किया यानी कैसे खाली बोतल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह खबर सुनकर, समझकर आपको बहुत अच्छा भी लगेगा और आप आगे शायद ऐसा करना भी शुरू कर देंगे।

    बतादें झारखंड के चाईंबासा में पर्यावरण को लेकर एक नई पहल देते हुए एक टीचर दिखे हैं। राजाबास गांव के टीचर ने बेकार हो चुके हजारों पानी की बोतलों को काट कर टपक विधि से पौधों को पानी देने का तरीका निकाल लिया है।

    इससे पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी मिल रहा है। लगातार पानी मिलने से पौधे तेजी से बढ़ रहे हैं। टीचर तरुण गोगोई कहते हैं, लोग पानी पीने के बाद बोतल फेंक देते हैं। प्लास्टिक का बोतल जल्दी गलता भी नहीं है। जमीन को बेकार भी बनाता है। 

    ऐसे में हमने बेकार प्लास्टिक की बॉटल को इकट्टा किया और उसके पेंदे को काटकर अलग कर दिए। उन्होंने उसे उल्टा करके ढक्कन को थोड़ खोल दिया। एक बोतल में सुबह पानी डालने पर दिन भर बूंद-बूंद के हिसाब से पानी गिरता है।

    इस दौरान वे किसी पौधे के सामने एक लकड़ी को डालकर बोतल बांध देते हैं। इससे पानी दिन भर पौधों को मिलता है। अब इस तरह से ना तो पानी की बर्बादी होती है और नाही कोई दिक्कत होती है, बल्कि पौधों को पानी जहां दिनभर में सिर्फ एक बार मिलता था।

    अब इस तरह से पानी, पौधों को दिनभर ही मिलता रहता है। यानी बोतल से पानी टपक-टपक कर मिलता रहता है, इसलिए इसे टपक विधि भी कह सकते हैं, और इस तरह से पौधा बहुत जल्दी बढ़ता है और उसकी अच्छी वृद्धि होती है।

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