बात तो सही है, लेकिन इसे सही बनाने के लिए अपने आप को खपाना पड़ता है। और ये काम सुरेंद्र लाल ने कर दिखाया है। अक्सर लोग बेटे को बाप के नाम से कहकर पुकारते हैं, जानते हैं, लेकिन यहां इसके बिल्कुल उलट है, यहाँ एक बाप को उसके बेटे के अच्छे काम के कारण जानते हैं।
और इस बेटे की अच्छाई ने ही पिता को प्रधानी का चुनाव जितवा दिया, वो कैसे, चलिए आपको बताते हैं। देवरिया जिले के एक गांव में पिता के ग्राम प्रधान निर्वाचित होने पर बेटे ने गांव के विकास के लिए अपने पास से एक करोड़ रुपया दिया है।

मामला पथरदेवा ब्लॉक के मेदीपट्टी गांव का है। जहां गिरजा श्रीवास्तव के प्रधान चुने जाने पर उनके बेटे सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव ने गांव में नाली, सड़क आदि के निर्माण के लिए यह राशि दी है। सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव उत्तराखंड में अपना व्यवसाय करते हैं और कमजोर लोगों की मदद में जुटे रहते हैं।
पिछले लाकडाउन में भी सुरेंद्र लाल ने जरूरतमंद लोगों की भरपूर मदद की थी, जिसको देखकर मेदी पट्टी गांव के लोगों ने इनके पिता गिरजा श्रीवास्तव को निर्विरोध प्रधान बनाने पर विचार किया।

पहले तो सुरेंद्र इसके लिए तैयार नहीं हुए, लेकिन ग्रामीणों के दबाव पर उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। चुनाव शुरू होने से पहले गांव के पूर्व प्रधान समेत दो अन्य लोगों ने भी गिरिजा श्रीवास्तव के खिलाफ प्रधानी का पर्चा दाखिल कर दिया।
लेकिन गांव के लोगों ने इनकी सेवा भावना को ध्यान में रखते हुए एक तरफा इनके पक्ष में मतदान कर शानदार जीत दिलाई। सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव ने अपने ग्राम सभा में आने वाले तीनों मोहल्लों में नाली, आरसीसी, सड़क और सोख्ता निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये की धनराशि अपने पास से देने का ऐलान किया है।

इसके बाद से तो ग्रामीण और ख़ुश हो गए हैं। ग्रामीणों का मानना है कि उनका चुनाव प्रधान के रूप में बिल्कुल सही था। क्योंकि सुरेंद्र के पिता को चुनाव जिताकर ग्रामीण गदगद हैं, और अब आगे और भी ज़्यादा प्रसन्न करने का काम ख़ुद जीते हुए प्रधान के बेटे ने भी कर दिया है।
अगर ऐसे लोग राजनीति में आएंगे तो यकीन मानिए, एक दिन ऐसा भी आ सकता है कि इस देश मे राजनीति के साथ-साथ राजनेताओं की भी पूरी ईमानदारी, पूरी निष्ठा से जयजयकार होगी।