बात कुछ ऐसी है कि जो जिस काम के लिए हो और वही अपने काम को पूरी ईमानदारी से कर जाए, तो फिर ये गार्ड ही क्या, हर कोई सम्मानित होने के काबिल है। लेकिन आजकल ऐसा होता कहाँ है। लोगों को अपनी ज़िम्मेदारी से ज़्यादा अपनी जान प्यारी होती है।
लोगों को तो आजकल वफादारी कहाँ, उन्हें तो गद्दारी पसंद होती है। खैर अब जिस ख़बर को हम आपको बता रहे हैं इसे पढ़कर आप अपनी जगह खड़े होकर इन गार्ड को सैल्यूट करेंगे, तो सुनिए पूरी ख़बर।

बता दें कि सरैयागंज सेंट्रल के दोनों गार्ड पुरानी बाजार सेंट्रल बैंक की शाखा से मंगलवार को 88 लाख रुपये लाने गए थे। कैश वैन में पैसे का बक्सा लोड कर ही रहे थे कि अपराधियों से उनकी मुठभेड़ हो गई।
इस घटना में गार्ड विजय कुमार घायल हो गए तथा रामदेव राम बाल-बाल बच गए। दोनों गार्डों ने जान पर खेलकर सरकारी पैसे को बचा लिया। पेट में गोली लगने के बाद भी विजय ने अपराधियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर भागने पर मजबूर कर दिया।

इसमें एक अपराधी जख्मी भी हो गया। सूचना मिलते ही सेंट्रल बैंक के आरएम सुनील कुमार, अन्य अधिकारी और एसोसिएशन के पदधारक पहुंच गए।आरएम ने थोड़ी देर बाद ही सेंट्रल बैंक के मुंबई स्थित केंद्रीय कार्यालय को दोनों गार्डों की बहादुरी से अवगत कराया।
उसके बाद केंद्रीय कार्यालय ने दोनों गार्ड को नकद पुरस्कार, प्रोन्नति, मनचाहा पोङ्क्षस्टग, वेतन में वृद्धि तथा घायल के इलाज का सारा खर्च देने की घोषणा की है ताकि गार्डोें का मनोबल ऊंचा रहे।

इधर बिहार स्टेट सेंट्रल बैंक इंप्लाइज यूनियन और बिहार स्टेट सेंट्रल बैंक ऑफिसर एसोसिएशन के महामंत्री सुनील कुमार ङ्क्षसह और मृत्युंजय मिश्रा ने कहा कि दो मांगों में एक पूरी हुई।
इसके लिए क्षेत्रीय प्रबंधक सुनील कुमार और आंचलिक प्रबंध बीएस हरिलाल को धन्यवाद दिया। पुलिस-प्रशासन की ओर से किसी प्रकार के इनाम की घोषणा नहीं किए जाने पर अफसोस जाहिर किया।

लेकिन अब अपने कर्म, अपनी वफ़ा, अपनी ईमानदारी से ये गार्ड सम्मान के हक़दार बने हैं। और ऐसा हम सभी कर सकते हैं लेकिन उससे पहले हमें अपने फ़र्ज़, अपने कर्तव्य और अपनी ज़िम्मेदारी को समझना होगा और उसका निर्वहन करना होगा।