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क्यों अंधेरा होते ही राजस्थान के इस मंदिर में कोई नहीं करता प्रवेश, 900 साल पहले दिया गया था यह श्राप

दोस्तों हर एक मंदिर की अपनी अलग मान्यता होती है। हर एक मंदिर की अपनी अलग भव्यता होती है। हर मंदिर के बारे में अपनी खुद की एक कहानी होती है। भक्तजन किसी मंदिर में प्रवेश करते हैं तो किसी मंदिर का कुछ महत्व, किसी मंदिर का कुछ महत्व होता है। पूरे देश में कहीं भी ब्रह्मा जी का मंदिर नहीं है, लेकिन ब्रह्माजी सृष्टि के रचेता कहे जाते हैं। लेकिन हां एक जगह ब्रह्मा जी का मंदिर है।

वह राजस्थान के जयपुर में है, जिसे प्रेम मंदिर के रूप में जाना जाता है, इसीलिए हर एक मंदिर की अपनी-अपनी कहानी अपनी-अपनी गाथा अपनी अपनी कथा होती है। बहुत से ऐसे मंदिर होते हैं जिनमें एक निश्चित समय होता है, प्रवेश करने का और उस समय के बाद उसमें प्रवेश ना तो किया जाता है, और ना ही प्रवेश करने के लिए अनुमति होती है, यानी पूरी तरीके से उस निश्चित समय को छोड़कर प्रवेश वर्जित होता है।

एक ऐसे ही किराडू मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि शाम होते ही इस मंदिर में कोई भी प्रवेश नहीं करता, और क्या इसको श्राप मिला हुआ है विस्तार से समझाइए।

किराडू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है और एक प्राचीन मंदिर है। यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार शाम होते ही मंदिर एकदम खाली हो जाता है और इस दौरान कोई भी व्यक्ति मंदिर में आने की गलती नहीं करता है।

यहां पर रहने वाले लोगों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति गलती से रात के समय यहां आ जाए तो वो पत्थर बन जाता है। किराडू मंदिर को राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है। किराडू पांच मंदिरों की एक श्रृंखला है। जिसमें से विष्णु मंदिर और शिव मंदिर एकदम सही है।

जबकि अन्य तीन मंदिर खंडहर बन चुके हैं। किराडू मंदिर का निर्माण किसके द्वारा किया गया था। ये आज तक एक रहस्य है। हालांकि मंदिर की बनावट को देखकर ये कहा जाता है कि शायद इसे दक्षिण के गुर्जर-प्रतिहार वंश, संगम वंश या फिर गुप्त वंश के काल में बनाया गया है। दक्षिण भारतीय शैली में बना ये मंदिर बेहद ही सुंदर तरह से बनाया गया है और 1161 ईसा पूर्व इस जगह का नाम ‘किराट कूप’ था।

कहा जाता है कि एक साधू अपने शिष्यों को मंदिर में छोड़कर कहीं चले गए थे उनके पीछे शिष्यों की तबियत ख़राब हो गई, जब उन्होंने गांव के लोगों से मदद मांगी तो किसी ने नहीं कि, सिर्फ एक महिला ने मदद की।

फिर साधू लौटकर आए तो उन्हें सब पता चला कि तो उन्होंने गांव वालों को श्राप दिया फिर सब पत्थर के बन गए। लेकिन महिला को कहा गया था कि आप शाम होते ही गाँव से चली जाओ वरना तुम्हारे साथ भी ऐसा ही होगा, लेकिन महिला ने बात नहीं मानी और वो भी पत्थर की बन गई। कुल मिलाकर तबसे ही ये कहानी यहाँ चल रही है। इसलिए यहां शाम को कोई भी मंदिर में प्रवेश नहीं करता है।

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