महामारी के संक्रमण की रोकथाम के लिए घर में बने मास्क को लेकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सरकार की नियमावली में बताया गया है कि आपको मास्क क्यों पहनना चाहिए? कैसे पहनना चाहिए? बाजार के मास्क और घर पर बनाए गए मास्क में क्या अंतर है? कैसे आप घर पर मास्क खुद ही सिलाई करके बना सकते हैं? कैसे उसे साफ रख सकते हैं। विष्लेशण बताता है कि यदि 50 प्रतिशत जनसंख्या नियमित रूप से मास्क पहनती है, तो केवल 50 फीसदी आबादी के वायरस से संक्रमित होने की आशंका रहती है।
अगर 80 प्रतिशत जनसंख्या मास्क पहनती है, तो यह प्रकोप पूरी तरह से रोका जा सकता है। कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल रहा है। वायरस एरोसोल में तीन घंटे तक और प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील सतहों पर तीन दिनों तक पाया गया है।

संक्रमित व्यक्ति की वजह से कोरोनोवायरस की बूंदें हवा में रूक जाती हैं। मास्क इन बूंदों के श्वसन प्रणाली में प्रवेश करने कि संभावना को कम करता है। सांस लेते समय वायरस को शरीर के अंदर आने की संभावना को कम करने के लिए, एक सुरक्षात्मक मास्क पहनना (जो गर्मी, यूवी प्रकाश, पानी, साबुन और अल्कोहल के उपयोग से अच्छी तरह साफ किया गया है), वायरस के फैलाव को रोकने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगा।

भारत में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए मास्क पहनना बेहद जरूरी है। इसी बीच बतादें आपको अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक ऐसा फेस मास्क बनाया है, जिससे इस बात का तुरंत पता चल जाएगा कि कोई कोरोना से इन्फेक्टेड है या नहीं।

इस फेस मास्क को बनाने वाली रिसर्च टीम का दावा है कि इसे लगाने पर अगर कोई कोरोना वायरस से इन्फेक्टेड होगा तो फेस मास्क चमकने लगेगा। कहा जाता है कि इस मास्क में जो सेंसर लगे हैं, उनके जरिए किसी व्यक्ति के साल्विया की जांच 3 घंटे के अंदर कर पता लगाया जा सकता है कि वो कोरोना से इन्फेक्टेड है या नहीं।

फिलहाल, कोरोना की जांच के लिए मरीज के नाक और मुंह से साल्विया का सैंपल लिया जाता है। इस जांच का रिजल्ट आने में 24 घंटे का समय लग जाता है। लेकिन नया फेस मास्क रिसर्चर्स ने विकसित किया है, वह साल्विया की जांच 3 घंटे में कर कन्फर्म कर सकता है कि किसी को कोरोना का इन्फेक्शन है या नहीं।