39 C
Delhi
Thursday, April 25, 2024
More

    Latest Posts

    सास बहू के प्रेम की अनसुनी कहानी, विधवा होने पर करा डाली दूसरी शादी

    दोस्तों, विधवा होना वैसे कोई कलंक नहीं है। लेकिन लोगों की मानसिकता है कि, इसके बारे में क्या ही कहें। दोस्तों बदलते इस ज़माने के साथ हमें भी बदलना चाहिए यही मानसिकता को और हमारी सोच को बढ़ा सकता है,रूढ़िवादी और सामाजिक नियम अनुसार हमें अब पहल करनी हो होगी,क्यों की हमारे भारत देश में आज भी कई गांव ऐसे है जहाँ पर बचपन में शादी कर दी जाती है।

    और किसी दुर्घटना में अगर उस लड़के की मौत हो जाती है तो समाज के नियम अनुसार उस लड़की को आजीवन उस लड़के की विधवा बन कर रहना पड़ता है,

    दोस्तों और तो और समाज में किसी भी मांगलिक काम में उस लड़की का आना सख्त मना होता है,उसे केवल अपने घर की चार दीवारी के बिच ही अपना जीवन बिताना पड़ता है।

    दोस्तों हमारा देश और बुद्धि जीवी लोग विधवा विवाह को एक नया कदम और जीवन मानता है उस लड़की के लिए जिसने सब कुछ सहन किया समाज और अपने परिवार के लिए, ऐसे लोग जो इस बारे में सोचते है उन को कोटि नमन।

    कहते हैं ना कि इस धरती पर सब मिलते हैं। भगवान भी शैतान भी, अब हमें अपना गुरु चुनना होता है। अब हमारा गुरु जैसे होगा, शायद हम भी वैसे ही हो जाएंगे। क्योंकि गुरु तो हम अक्सर अपने मुताबिक ही चुनते हैं।

    खैर इस ख़बर को जब आप विस्तार में पढ़ेंगे तो आपका मन, दिल, दिमाग कहेगा कि ये तो पहल सच में अच्छी है। दरअसल आज हम आपको हम आपको एक ऐसे सास ससुर के बारे में बताने वाले है जिन्होंने समाज में एक नई मिसाल कायम की है आए दिन खबरे आती रहती है की सास और ससुर दहेज़ के चलते बहू को काफी परेशान करते रहते है।

    तो वही इन सास ससुर ने अपनी बहू को बेटी माना और अपनी विधवा बहू की धूमधाम से दोबारा शादी भी करवाई है। शादी के कुछ महीनो बाद रश्मिरंजन की एक कोयले की खदान में हादसे की वजह से जान चली गई।

    बेटे के निधन से पुरे परिवार पर दुःख के बाद छा गए। माँ के साथ साथ रश्मिरंजन की बीवी लिली का भी रो रो कर बुरा हाल था। एक सास से अपने बहू का ये दुःख देखा नहीं गया। ऐसे में उसने उसकी दोबारा शादी कराने की सोची। इसके लिए उसने अपने भाई के बेटे संग्राम बेहरा को चुना।

    शुरूआती बातचीत के बाद सभी इसके लिए राजी हो गए। इसके बाद 11 सितंबर को जिले के राजकिशोरपाड़ा मंदिर में दोनों की शादी करवा दी गई। इस दौरान लिली के ससुराल और मायके वाले भी मौजूद थे।

    अब इस पहल की हर कोई भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहा है। वैसे देखा जाए तो इंसानियत इसी का नाम है। मानवता इसी का नाम है। क्योंकि हर किसी को अपने हिस्से की ज़िंदगी जीने का हक़ है।

    Latest Posts

    Don't Miss

    Stay in touch

    To be updated with all the latest news, offers and special announcements.