बात 1986-87 की है। उन दिनों लालू यादव अपने राजनीतिक जीवन के चढ़ाव पर थे। बिहार की राजनीति में खास पहचान बनाने वाले बाहुबली का नाम तो है राजेश रंजन पर पहचान है पप्पू यादव के नाम से। पप्पू की खास पहचान तब बनी जब वह 1990 में निर्दलीय विधायक बनकर बिहार विधानसभा में पहुंचे। उसके बाद का उनका सियासी सफर आपराधिक मामलों में विवादों से भरा रहा। मारधाड़ से भरपूर। तब बड़े-बड़े दबंग भी पप्पू से टकराने से बचते रहे। हालांकि पप्पू मानते रहे हैं कि सामाजिक अंतरविरोधों के कारण उनकी ऐसी छवि गढ़ दी गयी।
मधेपुरा के सिंघेश्वरस्थान विधानसभा की सीट से पहली बार विधायक बनने वाले पप्पू यादव ने बहुत कम वक्त में कोसी बेल्ट के कई जिलों में अपना प्रभाव बढ़ा लिया।

उन्होंने मधेपुरा नहीं बल्कि पूर्णिया, सहरसा, सुपौल, कटिहार जिलों में अपने समर्थकों का मजबूत नेटवर्क खड़ा कर लिया। ठीक उसी समय कोसी के इलाके में आनंद मोहन का राजनीति में अवतरण हुआ था।
वह भी 1990 में जनता दल के टिकट पर पहली बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे। एक स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से ताल्लुक रखने वाले आनंद मोहन की पहचान सहरसा-सुपौल में एंटी रिजर्वेशन के दौरान एक मुखर नेता की बनी थी। यह बात कर्पूरी ठाकुर के आरक्षण प्रावधान का जबरदस्त विरोध किया था।

अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले बिहार के बाहुबली नेता पप्पू यादव पर दो नवंबर 1990 को एक पुलिसकर्मी की मूंछ उखाड़ने के एक मामले में जमानत मिली है, सुर्खियों में रहने वाले पप्पू यादव की लव स्टोरी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।
एक मर्डर के मामले में जब पप्पू यादव जेल में सजा काट रहे थे, तभी उन्हें रंजीता से प्यार हो गया था। उन्हें अपनी प्रेमिका (अब पत्नी) रंजीता को मनाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े। पप्पू को अपने प्यार को पाने के लिए पटना, दिल्ली और चंडीगढ़ के कई चक्कर लगाने पड़े। आज पप्पू जन अधिकार पार्टी के सांसद हैं तो उनकी पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस की सांसद हैं।

कई ऐसे मोड़ आए जब लगा सब कुछ बिखर गया, लेकिन ये पप्पू की जिद ही थी कि उन्होंने शादी का प्रपोजल रंजीता के सामने रखा। वे अपनी प्रेमिका की फोटो देखकर कुछ इस कदर फिदा हो गए कि फिर वे सब कुछ भूलकर उसकी महज एक झलक पाने के लिए हर दिन टेनिस कोर्ट पहुंच जाते थे।

बात साल 1991 की है। तब पप्पू यादव पटना के बांकीपुर जेल में बंद थे। पप्पू अक्सर जेल सुपरिटेडेंट के रेसिडेट से लगे मैदान में लड़कों को खेलते देखा करते थे। इन्हीं लड़कों में रंजीता के छोटे भाई विक्की भी थे। इन लड़कों से मिलने-मिलाने के सिलसिले में विक्की से पप्पू की नजदीकियां बढ़ गई।

पप्पू यादव की शादी पहले पूर्णिया के गुरुद्वारे में होनी तय हुई। लेकिन फिर तय हुआ कि शादी आनंद मार्ग की पद्धति से होगी। इस बीच रंजीता और उनके परिजनों को लेकर आ रहा चार्टर्ड विमान रास्ते में ही भटक गया और देरी के कारण हंगामा मच गया। लेकिन बाद में पता चला कि विमान का पायलट रास्ता भटक गया था।

खैर विमान पहुंचा और लोगों ने राहत की सांस ली। शादी को लेकर पूर्णिया की सड़कों को पूरी तरह सजा दिया गया था। शहर के सारे होटल और गेस्ट हाउस बुक थे। आम और खास सबके लिए व्यवस्था की गई थी। इस शादी में चौधरी देवीलाल, लालू प्रसाद, डीपी यादव और राज बब्बर भी शामिल हुए और फरवरी 1994 में पप्पू यादव और रंजीता की शादी हो गई।