जी हां दोस्तों बिल्कुल सही सुना आपने। जो आप पढ़ रहे हैं ये ही सच्चाई है। जिन लोगों को आम इंसान भी पसंद नहीं करता है। जो लोग दूसरों का सहारा नहीं बन पाते हैं। वो लोग अपने ही जीवन में हँसी दिलाने के पात्र बन जाते हैं। और जो लोग धिक्कारे जाते हैं, वह लोग खुद एहसास करते हैं और तब वही लोग, अन्य लोगों का सहारा बन जाते हैं। ट्रांसजेंडर के बारे में तो आप जानते ही होंगे। इसमें दो पहलू होते हैं। ट्रांसमैन और ट्रांसवुमन।
सब में जो लोग अपने आप को समझदार बुद्धिजीवी समझते हैं, और कंप्लीट इंसान समझते हैं। कुदरत के फरिश्ते समझते हैं। कुदरत की दूसरी बनावट को अलग तरीके से हीन दृष्टि से देखते हैं। कुदरत के करिश्मा को गलत भावना से देखते हैं।

हम हमेशा सामने वाले को नहीं बल्कि अपने आप को ही पाप के भागीदार बनाते हैं। अब हम अपको पूरी कहानी बताने जा रहे हैं। इस खबर के माध्यम से आप देखेंगे कि ट्रांसवुमन कैसे दूसरों का सहारा बन गई है। कैसे 12 ट्रांस्वूमेन तीन वक्त का भोजन उपलब्ध कराती हैं। जो लोग घर से ही असहाय होते हैं, बेसहारा होते हैं।

असाय होते जरूरतमंद होते हैं उनको अब आपको पूरी खबर बताते हैं। चेन्नई में ट्रांस कम्युनिटी का एक किचन काफी चर्चा में है। 12 ट्रांसवुमन दोस्तों ने मिलकर इसकी शुरुआत की और अब ये लोग जरूरतमंदों को खाना खिला रहे हैं।
ट्रांसवुमन श्रिजित कहती हैं, इनकी 12 लोगों की टीम है। इसमें शंकरी, प्रिया, बॉबी, सोमिया, सोधैर्य, पुरकला, राम्या, मघेश्वरी, प्रीती, गणपति, संध्या और माया हैं। इसमें से 6 लोग किचन में काम करते हैं तो दूसरे सुनामी क्वार्टर में काम करते हैं।

पिछले साल जब पहला लॉकडाउन लगा था तो हम सबने कुछ पैसे इकट्ठे किए और एलजीबीटी कम्युनिटी को सपोर्ट किया।इन्होंने बताया कि कुछ दोस्तों ने मिलकर 25 अप्रैल 2020 को किचन की शुरुआत की थी।
श्रिजित के काम की शुरुआत सुबह के 4.30 बजे से हो जाती है। इसके बाद ये काम रात के 9 बजे तक चलता है। ये टीम सुबह, दोपहर और रात तीन टाइम खाना डिलीवर करती है। इनका कहना है कि ये कोशिश करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मदद पहुंचाए।