जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सृष्टि के उद्धार के लिए देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था। जिसमें से बहुत सारे रत्नों की उत्पत्ति हुई थी। कहा जाता हैं कि मंदार पर्वत को शेषनाग से बांधकर समुद्र का मंथन किया गया था और उस मंथन में समुद्र से ऐसी कई चीजें प्राप्त हुई थी, जो बहुत अमूल्य थी। हिंदू पुराणों में समुद्र मंथन को लेकर कई किस्से बताए गए हैं। उन्हीं में से एक है समुद्र से अमृत कलश का निकलना।
वैेसे तो कई लोग इसे काल्पनिक मानते हैं, लेकिन कुछ विद्वानों के अनुसार मुस्लिम देश इंडोनेशिया में आज भी वो अमृत कलश मौजूद है। हैरानी की बात यह है कि उसमें अमृत जैसा एक द्रव्य भी है। बताया जाता है इंडोनेशिया के मध्य और पूर्वी जावा प्रांतों की सीमा पर माउं लावू नामक जगह है।
जहां कंडी सुकुह नामक एक मंदिर है। माउंट लावू पर्वत पर स्थित यह मंदिर लगभग 2990 फीट ऊंचा है। इतिहासकारों का कहना है कि इस मंदिर में वो कलश आज भी मौजूद है जो समुंद्र मंथन से निकला था। इस कलश का उस समय पता चला था जब मंदिर की मरमत चल रही थी तभी उनको दीवार से नींव से एक कलश मिला।
सबसे आश्चर्य की बात है कि इसके अंदर भरा हुआ पानी सदियां बीत जाने पर भी नहीं सूखा है। पुरातत्वविद कहते हैं कि इस बर्तन में न सूखने वाले पानी के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये अमृत ही है। कई विद्वान इसे समुद्र में किए अमृत मंथन से निकला अमृत बता रहे हैं।
इस मंदिर का नाम कंडी सुकुह है, जो मध्य और पूर्वी जावा प्रांतों की सीमा पर माउंट लावू (ऊंचाई 910 मीटर यानी 2,990 फीट)) के पश्चिमी ढलान पर स्थित है। इस प्राचीन मंदिर में एक ऐसा कलश मौजूद है, जिसमें एक द्रव्य हजारों सालों से मौजूद है।
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