इस महामारी की वजह से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। सरकार लोगों से बार बार अपील भी कर रही है कि घर में रहे, सावधान रहें। ऐसे कई ऐसे लोग है मदद के लिए आगे आ रहे हैं। आज हम उन लोगों का जिक्र करेंगे जो निस्वार्थ भाव से लोगों का सहयोग कर रहे है। पुणे की रहने वाली आकांक्षा सादेकर ने कोरोना वारियर्स के लिए यानी डॉक्टर नर्स, और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए खुद से खाना बनाकर पहुंचाने का काम कर रही है।
अब तक वो 1500 से ज्यादा टिफिन की सप्लाई कर चुकी है। आकांक्षा का ये काम बेहद सरहानीय है। जरूरतमंद उनके ट्विटर हैंडल @scottishladki पर अपना नाम और डिटेल डालते हैं और अगले दिन उन्हें टिफिन मिलने लगता है। आकांक्षा कहती हैं कि लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन उनका प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मदद पहुंचे।

महामारी काल में सेवा के जज्बे की एक बड़ी मिसाल बालाघाट की एक बेटी ने पेश की है. प्रज्ञा घरड़े नाम की यह बेटी पेशे से डॉक्टर है और नागपुर के निजी अस्पताल के एक कोविड केयर सेंटर में सेवाएं देती हैं. डॉ. प्रज्ञा छुट्टी पर अपने घर आईं थीं.।
अचानक संक्रमण बढऩे के बाद उन्हें छुट्टी के बीच ही नागपुर चिकित्सकीय सेवाएं देने लौटना पड़ रहा था. लेकिन लॉकडाउन में महाराष्ट्र की ओर जाने वाली बसें और ट्रेन के साधन नहीं मिल पाने पर इस महिला चिकित्सक ने अपनी स्कूटी से ही नागपुर तक का सफर तय करने का निर्णय लिया।

मुंबई के सोशल वर्कर और सायन फ्रेंड सर्किल फाउंडेशन के प्रेसिडेंट अशोक कुर्मी इन दिनों मुंबई की सड़कों पर स्पाइडरमैन के गेटअप में घूमते हुए नजर आ रहे हैं। अशोक की पीठ पर एक सैनिटाइजेशन किट बंधी रहती है और यह स्पाइडरमैन मुंबई के अलग-अलग इलाकों में घूम कर बस स्टैंड और बसों को सैनिटाइज्ड करने का काम करता रहता है। मुंबई के कुंभारवाड़ा इलाके में स्थित फूल मस्जिद में ऑक्सीजन सिलेंडर का एक बड़ा स्टॉक रखा गया है।

मस्जिद से हर दिन सैंकड़ों घरों तक ऑक्सीजन सप्लाई का काम किया जा रहा है। यहां के मौलाना सरफराज मंसूरी बताते हैं कि मुंबई में अस्पताल में एडमिट होने से पहले ही ऑक्सीजन की कमी से हर दिन कई लोगों की मौत हो रही थी। लोगों को प्राइमरी मदद पहुंचाने के लिए पिछले साल से वे इस सेवा को मुफ्त में चला रहे हैं।
