लॉकडाउन की वजह से हज़ारों युवाओं की नौकरियां छीन गई। इसके चलते वह खुद ही अपने पैरों पर खड़ा होकर कुछ करने की सोचने लगे। इनमें से एक कहानी है, लखनऊ के मड़ियाव थाना क्षेत्र के दाउदनगर में रहने वाले ओमप्रकाश वाराणसी में सिविल इंजीनियर की नौकरी करते थे। ओम प्रकाश हमेशा से कहते थे कि वह अपना कोई काम शुरू करना चाहते है और एक आईडिया पर वह काफी समय से काम भी कर रहे थे।
लेकिन किसी न किसी वजह से, वह नौकरी छोड़कर काम शुरू करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। ओम प्रकाश प्रजापति ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। डिप्लोमा पूरा होने के बाद, कुछ समय तक लखनऊ में ही
एक कंपनी में काम किया और फिर बनारस में एक कंपनी ज्वॉइन कर ली। अपना स्टार्टअप शुरू करने से वह पहले बनारस में ही काम कर रहा था। जहाँ पर उन्हर 30 हजार रुपये/माह तन्खाह मिला करती थी।
वे कहते हैं कि साइट पर काम करने के दौरान मुझे स्क्रैप मैनेजमेंट का काम करना पड़ता था। ऐसे में जो स्क्रैप खरीदने आते थे, वे लोग उल्टे-सीधे दाम पर स्क्रैप ले जाते थे। यह बात मेरे दिमाग में बैठ गई।
मुझे लगा कि इस सेक्टर में अपना बिजनेस किया जा सकता है। इसके बाद 2019 में मैंने ट्रायल बेसिस पर lucknowkabadiwala.com नाम से एक वेबसाइट बनवा ली। हालांकि इस पर काम नहीं शुरू किया।
वहीं ओमप्रकाश बताते हैं कि 2020 में जब कोरोना के केस बढ़ने लगे, तब मैं छुट्टी लेकर घर आ गया। उसके कुछ दिनों बाद ही लॉकडाउन लग गया। ये खाली वक्त मेरे लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
इससे मुझे सोचने-समझने का मौका मिल गया। अपने आइडिया को लेकर परिवार के लोगों से बात की। सबकी एकमत राय थी कि शुरुआत करो। फिर मैंने जून 2020 से काम करना शुरू कर दिया। तब मेरे साथ दो लोग काम करते थे। बाद में जब काम आगे बढ़ा तो मैंने इनकी संख्या बढ़ाई। आज मेरे साथ पांच लोगों की टीम काम करती है।